छिंदवाड़ा में 6 बच्चों की मौत का खुलासा: दूषित कफ सिरप से किडनी फेल!

भोपाल. मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा से आई एक बेहद गंभीर खबर ने पूरे स्वास्थ्य महकमे में हडक़ंप मचा दिया है. यहां कफ सिरप पीने के बाद किडनी फेल होने से 6 बच्चों की मौत का सनसनीखेज खुलासा हुआ है. जांच में इन मासूमों के किडनी सैंपल में डायएथिलीन ग्लायकॉल नामक दूषित रसायन पाया गया है, जिसे बच्चों की किडनी फेल होने का शुरुआती कारण माना जा रहा है.
डायएथिलीन ग्लायकॉल जो एक औद्योगिक रसायन है, इसे कफ सिरप में सॉल्वेंट के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. यदि दवा बनाने में इसका इस्तेमाल 0.1 प्रतिशत से अधिक हो जाए तो यह बेहद खतरनाक होता है. इससे किडनी फेल, लिवर डैमेज और मौत तक हो सकती है. फिलहालए 5 से 6 बच्चों का इलाज नागपुर और छिंदवाड़ा के अस्पतालों में चल रहा है, जिनमें से 2 से 3 की हालत गंभीर बनी हुई है.
स्वास्थ्य विभाग के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने बच्चों के घरों से मिले 13 प्रकार की दवाओं के सैंपल जांच के लिए भेजे हैं, जिनमें 3 कफ सिरप शामिल हैं. यह भी जांचा जा रहा है कि कहीं किसी अन्य दवा में भी गड़बड़ी तो नहीं थी.
जिन 3 कफ सिरप को संदिग्ध मानकर सैंपल लिया गया है, उनमें से एक का उत्पादन इंदौर में होता है. इंदौर में एआरसी सिरप बनाने वाली यूनिट के प्रोडक्शन पर रोक लगा दी गई है और नोटिस जारी किया गया है.
हैरानी की बात यह है कि राज्य में बिकने वाले अन्य दो संदिग्ध सिरप कोल्ड्रिफ (तमिलनाडु) और नेक्सट्रॉस डीएस (हिमाचल प्रदेश) पर सिर्फ छिंदवाड़ा में ही बैन लगाया गया है. सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब एक लोकल सिरप यूनिट पर रोक लग गई है, तो पूरे प्रदेश में इन संदिग्ध सिरप की बिक्री क्यों नहीं रोकी जा रही है.



