विरोध विरोध: बिजली कंपनियों को निजी हाथों में सौपने की तैयारी

सीहोर। मध्यप्रदेश में बिजली कंपनियों को निजी हाथों में सौंपने का विरोध शुरू हो गया है कंपनियों के निजीकरण करने की पॉलिसी लाने से नाराज बिजली कर्मचारी आंदोलन पर उतर आए हैं । सभी बिजली कंपनियों के कर्मचारियों ने काम का बहिष्कार कर दिया है। इससे बिजली कंपनी के दफ्तरों में सन्नाटा पसरा हुआ है। मध्य प्रदेश यूनाइटेड फोरम सार पावर एम्पलाइज एवं इंजीनियर एसोसिएशन के संगठन तले जिले भर के बिजली कर्मचारी निजीकरण के विरोध में लामबंद हो गए हैं । कर्मचारियों संगठनों का कहना है कि निजीकरण से ना केवल उनके हित प्रभावित होंगे बल्कि इससे किसान गरीब और आम मजदूरों का भी नुकसान होगा। निजीकरण के बाद उपभोक्ता की खुली लूट की जाएगी। निजी कंपनियां व्यापार के लिए आ रही हैं वह किसी तरह की रियायत नहीं बरतेगी। यूनाइटेड फोरम संगठन के प्रांतीय मीडिया प्रभारी लोकेंद्र श्रीवास्तव ने बताया ने बताया कि सरकार की नीतियां जनता और कर्मचारियों को बर्बाद करने की है । सरकार की सोच है कि हम सभी को एक दर से बिजली दे। चाहे वह वाणिज्यिक बिजली हो या फिर औद्योगिक या कि घरेलू। इससे जनता को बेहद नुकसान उठाना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि इस समय सरकार ₹1 प्रति यूनिट की दर पर सब्सिडी के आधार पर बिजली दे रही है। निजी करण होने के बाद उपभोक्ताओं को अनुदान दर की यह बिजली मिलना बंद हो जाएगी । फिलहाल अगर सरकार ₹1 रुपये यूनिट पर बिजली दे रही है तो इसमें 92 पैसे सरकार कंपनी को उपलब्ध कराती है । जबकि उपभोक्ता से सिर्फ 8 पैसे लिया जाता है ।लेकिन जब कंपनियों का निजीकरण कर दिया जाएगा तब यह सारी सब्सिडी बंद कर दी जाएंगी। ऐसे में निजी कंपनियां पूरा पैसा जनता से वसूलेगी। उन्होंने बताया कि अगर निजीकरण होता है तो किसानों को इसका बेहद खामियाजा चुकाना पड़ेगा । मसलन 5 हॉर्स पावर के पंप का 45 से ₹50 हजार रुपये प्रति माह का बिल चुकाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि कंपनी व्यापार की हैसियत से आ रही है । जो कंपनी 18% वार्षिक लाभ कमाने के लिए आ रही है वह जनता को कैसे राहत देगी । इस मौके पर संगठन संयोजक परिहार बताया कि निजी करण से कंपनियों के अधिकारी कर्मचारियों का भविष्य अंधकार में डूब जाएगा। निजी करण होने से कर्मचारियों के वेतन भत्ते पेंशन और भविष्य बचाने की समस्या पैदा हो जाएगी ।उन्होंने कहा कि जब बैतूल, राजगढ़, होशंगाबाद, सीहोर जैसे जिले प्रॉफिट में चल रहे हैं तो फिर कंपनी का निजीकरण करना का क्या मतलब है । आंदोलन के दौरान कर्मचारी संगठन नेता आर एस कुशवाहा ने बताया कि बिजली कर्मचारियों की मांगों को हल करने के लिए फोरम को जिस हद तक भी गुजरना पड़े संगठन मजबूती के साथ डटा हुआ है । आपको बता दें कि बिजली कंपनियों के संगठन पिछले 4 जनवरी से निजीकरण के विरोध में चरणबद्ध आंदोलन कर रहे हैं । पूरे प्रदेश के कर्मचारी संगठन 7 फरवरी को भोपाल में बड़ा धरना और रैली का आयोजन कर रहे हैं यह रैली गोविंदपुरा से वल्लभ भवन तक जाएगी जिसमें मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिए जाने की योजना है।

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