प्रदेश में मिड-डे मिल में स्कूली बच्चों को बांटे गए 285 करोड़ रुपए के सूखा राशन में काफी अनियमितता सामने आई है। प्रदेश के ज्यादातर जिलों से शिकायतें मिली हैं कि बच्चों को घटिया क्वाॅलिटी का राशन दिया गया। आधी-अधूरी सामग्री बांटी गई। इसके चलते मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस की नोटशीट के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने सभी जिलों के कलेक्टरों से राशन बंटने और बच्चों तक पैकेट पहुंचने की सत्यापन रिपोर्ट तलब की है।
कलेक्टरों से रिपोर्ट मिलने के बाद शासन इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंप सकता हैं। सूखा राशन के लिए प्रदेश को 285 करोड़ रुपए का बजट मिला था। राज्य शासन के पास शिकायतें मिली हैं कि सामग्री वितरण में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुई हैं। ये राशन बच्चों तक बराबर नहीं पहुंचा है। इसका वितरण जिला पंचायत सीईओ की निगरानी में होना था, जिसमें गड़बड़ी हुई है। इसके बाद मुख्य सचिव बैस ने 75 विकासखंड की सभी शालाओं में बंटे दाल,तेल और चिक्की का वितरण होने की सत्यापन रिपोर्ट 25 जनवरी तक बुलाई थी।
स्कूल शिक्षा विभाग की उप सचिव अनुभा श्रीवास्तव ने विकासखंड स्तर और स्कूलों तक वितरण होने के सत्यापन की जानकारी के लिए सभी जिलों के कलेक्टर और जिला मिशन संचालक को प्रपत्र भेजा है। इस प्रपत्र में सभी बिन्दुओं पर जानकारी चाही गई है ताकि प्रत्येक बच्चे तक सही राशन पहुंचने की स्थिति साफ हो जाए। रिपोर्ट में ये भी मांगा गया है कि कितने स्थानों पर किसकी मौजूदगी में (वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ) सूखा राशन बांटा गया है। ऐसा नहीं हुआ तो कितने जिलों में लापरवाही की गई है। उल्लेखनीय है कि सूखा राशन स्वसहायता समूह के जरिए बंटना था लेकिन एजेंसी से सीधे बंटवा दिया गया है। ये भी पूछा गया है कि कितने स्कूल दर्ज हैं। कितने स्कूलों में सामग्री बंटी है। उल्लेखनीय है कि सूखा राशन स्वसहायता समूह के जरिए बंटना था लेकिन एजेंसी से सीधे बंटवा दिया गया है।
केंद्रीय भंडार ने विवादित कंपनियों को दे दिया काम
लॉकडाउन में मिड-डे मिल मिल पाया तो केंद्र ने अगस्त से होम टू होम सूखा राशन देने का फैसला लिया। इसमें 1.13 लाख शालाओं में प्राइमरी और मिडिल स्कूलों के 65.66 लाख बच्चों को 73 दिन तक भोजन पकाने की राशि के बराबर सूखा राशन (तुअर दाल, सोया तेल और चिक्की) बांटना था।
केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने 12 अक्टूबर 2020 को राज्य सरकार को पत्र भेजा। सलाह दी कि राशन वितरण के लिए केंद्रीय भंडार (केंद्रीय कर्मचारियों की को-ऑपरेटिव संस्था) जैसे संगठन की सेवाएं ली जा सकती हैं। इसमें स्वयंसेवी संस्था, एसएजजी का जिक्र भी था। शासन ने काम केंद्रीय भंडार को दिया।
भंडार ने ऑर्डर पहले दिल्ली की सोनारतारी मल्टी स्टेट एग्रो को-ऑपरेटिव सोसायटी (सोनाको) को दिया।
सोनारतारी ने यही काम छत्तीसगढ़ की केके ऑटोमेटिव कंपनी को सबलेट कर दिया। बाद में भंडार ने सोनाेको का ऑर्डर होल्ड कर पूरा काम केके को सौंप दिया। बाद में केके ऑटोमेटिव और प्रदेश में पोषण आहार सप्लाई करने वाली कंपनियों के पार्टनरों ने एक नई कंपनी ट्रेड ओएसिस बना ली है। पोषण आहार वितरण में गड़बड़ियों पर पहले ही प्रधानमंत्री कार्यालय नाराजगी जता चुका है।