पड़ताल: केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज के राज्य मप्र में खाद संकट, सरकार के दावे फेल

भोपाल. देश के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के अपने ही राज्य मध्यप्रदेश में अन्नदाता किसान खाद के लिए संकट से जूझ रहे हैं. प्रदेश के 22 जिलों में खाद संकट को लेकर हालात बेकाबू हैं. किसान पुलिस के लाठी डंडे खाने के लिए विवश है.
बता दें सरकार के दावों के विपरीत मध्य प्रदेश के किसानों की हालत किसी से छिपी नहीं है. रीवा से लेकर भिंड तक, उमरिया से लेकर मुरैना तकए हर जगह किसान खाद के लिए लंबी-लंबी लाइनों में लगे हैं. सुबह 5 बजे से भूखे-प्यासे, कीचड़ में बैठकर घंटों इंतजार कर रहे इन अन्नदाताओं को न तो पीने का पानी मिल रहा है और न ही बैठने की कोई उचित व्यवस्था.
मची भगदड़, किसान घायल
उमरिया के मानपुर क्षेत्र में तो खाद वितरण केंद्र पर भगदड़ मच गई, जिसमें कई महिलाएं और पुरुष घायल हो गए. यही हाल रीवा के उमरी में भी देखा गया, जहां भगदड़ में कई किसान चोटिल हुए. हालांकि, प्रशासन ने स्थिति को काबू करने का दावा किया, लेकिन सवाल उठता है कि आखिर ऐसी स्थिति बनी ही क्यों. रीवा अपर कलेक्टर ने दावा किया हमने स्थिति को संभाला और घायलों को अस्पताल भिजवाया. जिले में खाद की कोई कमी नहीं है, किसानों के बीच भ्रम की वजह से भगदड़ हुई.
प्रशासन की नाकामी
यह स्थिति केवल प्रशासन की नाकामी को नहीं दर्शाती, बल्कि यह भी दिखाती है कि सरकार के दावे जमीन पर खोखले साबित हो रहे हैं. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश के कृषि मंत्री एंदल सिंह कंसाना दोनों ही खाद की कमी से इनकार कर चुके हैं, फिर भी किसान परेशान हैं. कांग्रेस का आरोप है कि केंद्र और राज्य सरकार के बीच तालमेल की कमी ही इस संकट की असली वजह है.
केन्द्र-राज्य सरकार में तालमेल नहीं
कांग्रेस नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने खाद संकट को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि यह केंद्र और राज्य सरकार के बीच तालमेल की कमी का नतीजा है. केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्यमंत्री मोहन यादव के बीच कोई सामंजस्य नहीं है, जिसका खामियाजा किसान भुगत रहे हैं.



