सीहोर। नगर में सुरक्षा गार्ड उपलब्ध कराने वाली एजेंसियों की संख्या बढ़ रही हैं। अनेकों संस्थानों के पास तो लाईसेंस भी नहीं हैं। बावजूद इसके एजेंसियां गार्ड उपलब्ध करा रही हैं। आर्थिक संकट से जूझते बेरोजगार युवक-युवतियों का यह संस्थान शोषण कर रहे हैं। घंटों काम कराने के बाद भी निजी सुरक्षाकर्मियों को न्यूनतम या फिर कलेक्ट्रेट दर से मासिक वेतन नहीं दिया जा रहा है। जिला अस्पताल सीहोर में भी अलग अलग विभाग और वार्ड में लगे सुरक्षा गार्डों का एजेंसी द्वारा शोषण करने की बात सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि महिला और पुरुष गार्ड को कलेक्टर रेट के मुताबिक वेतन नहीं दिया जा रहा है। तो वहीं दूसरी और एजेंसी को अस्पताल द्वारा पूरा भुगतान किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल सीहोर में करीब 24 महिला और पुरुष सुरक्षा गार्ड कार्यरत हैं इंदौरिया सेक्योरिटी फोर्स एजेंसी का अस्पताल में गार्ड उपलब्ध कराने का ठेका है। नाम न छापने की शर्त पर एक महिला गार्ड ने बताया कि उन्हें 5500 रुपए मासिक वेतन मिल रहा है और उनसे करीब 12 घंटे डयूटी कराई जा रही है। एजेंसी के अधिकारियों द्वारा कहा गया है कि यदि किसी से शिकायत करोगे तो तुम्हे नौकरी से निकाल दिया जाएगा। इस महंगाई के दौर में इतने कम वेतन में गुजारा करना मुश्किल है।
कलेक्टर दर प्रस्तावित
बताया जा रहा है कि जिला अस्पताल में सुरक्षा में लगे निजी गार्डस को कलेक्टर दर से वेतन प्रस्तावित की गई थी। लेकिन
यहां कार्यरत गार्डस को कलेक्टर दर के मुताबिक वेतन नहीं दिया जा रहा है। देखा जाए तो गार्डस को 9 हजार रुपए वेतन मिलनी चाहिए जबकि उन्हें सिर्फ 5 हजार रुपए मासिक वेतन एजेंसी द्वारा दिया जाता है। जबकि अस्पताल प्रबंधनक द्वारा एजेंसी के खाते में कलेक्टर दर से हिसाब से भुगतान किया जा रहा है।
जिम्मेदारों की संलिप्तता से खेल
विभागीय सूत्रों ने बताया कि सारा खेल जिम्मेदार अफसर और कर्मचारियों की मिलीभगत से हो रहा है। ठेकेदार और कुछ जिम्मेदार यहां लाखों रुपए महिने की हेरफेर कर रहे हैं।
गार्डस का शोषण कर एजेंसी हर महिने लाखों रुपए का ऐंठ रही है। पहरेदारों को बीमा और अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। बताया जा रहा है कि बीते तीन सालों से अस्पताल में एक ही एजेंसी का ठेका है।
बैंक पास बुक मांगी है
इस संबंध में अस्पताल के आरएमओ डा नवीन मेहर कहते हैं कि मामला संज्ञान में आया है गार्डस से बैंक पास बुक, ज्वाईनिंग लेटर बुलवाए गए हैं। निष्पक्ष जांच की जाएगी। इस
पूरे मामले पर सिविल सर्जन डॉ अशोक कुमार मांझी से बात करने का प्रयास किया तो वह कन्नी काटने नजर आए और कुछ भी बोलने से साफ इंकार कर दिया। यह मेरे अधिकार क्षेत्र में नही आता।
इस पूरे मामले को लेकर इंदौरिया सेक्योरिटी फोर्स के मैनेजर ओपी इंदौरिया का कहना है कि गार्ड को निर्भारत वेतन दिया जा रहा है। किसी का शोषण नहीं हो रहा है।
इस सम्बंध में एसपी सीहोर एसएस चौहान का कहना है कि जिले में बाहर की एजेंसियां काम कर रही है। लाइसेंस पुलिस मुख्यालय से बनाये जाते हैं बिना लाइसेंस के यदि एजेंसी काम कर रही हैं तो अभियान चला कर वैधानिक कार्यवाही की जावेगी।