मध्यप्रदेश

गौरवशाली अतीत को नई पीढ़ी तक पहुंचाना जरुरी है: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव

भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े कई महत्वपूर्ण स्थानों का दौरा किया। उन्होंने कहा कि हमारा गौरवशाली इतिहास नई पीढ़ी तक पहुंचना बेहद जरुरी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विरासत से विकास के संकल्प से प्रेरित होकर मुख्यमंत्री ने यह यात्रा की।
सीएम डॉ. मोहन यादव ने 16 अगस्त को सबसे पहले रायसेन जिले के महलपुर पाठा का दौरा किया। इसके बाद वे धार जिले के अमझेरा और इंदौर जिले के जानापाव गए। इस दौरान उन्होंने कई प्राचीन कृष्ण मंदिरों में दर्शन किए और पूजा.अर्चना की।
श्रीकृष्ण मंदिरों में नमन
मुख्यमंत्री ने उज्जैन के सांदीपनि आश्रम और गोपाल मंदिर के अलावा नारायणा धाम का भी दौरा किया, जो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की दोस्ती का साक्षी है। उन्होंने कहा कि इन स्थानों को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है और इसके लिए श्रीकृष्ण पाथेय के विकास के लिए एक न्यास भी बनाया गया है।
युवाओं को समृद्ध अतीत से अवगत कराना
मुख्यमंत्री का मानना है कि आज की पीढ़ी को हमारे समृद्ध इतिहास की जानकारी देना बहुत जरुरी है। उन्होंने बताया कि धार जिले के अमझेरा में रुक्मणी हरण से जुड़े प्रसंग और युद्ध का वर्णन मिलता है। वहीं उज्जैन के गोपाल मंदिर का द्वार सोमनाथ का बेशकीमती द्वार है, जिसे कंधार से वापस लाया गया था। उन्होंने कहा कि स्कूल और कॉलेज के छात्रों को शैक्षणिक भ्रमण के लिए ऐसे ऐतिहासिक स्थानों पर ले जाना चाहिएए ताकि वे अपने गौरवशाली इतिहास को जान सकें।
ऐतिहासिक महत्व के स्थान
महलपुर पाठा: रायसेन जिले में स्थित यह 13वीं शताब्दी का मंदिर है। यहां एक ही पत्थर पर राधा.कृष्ण और देवी रुक्मणी की मूर्तियां बनी हैं। पास में परमार वंश का एक प्राचीन किला भी है।
अमझेरा: यह वह स्थान है जहां भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का हरण कर उनसे विवाह किया था। इस प्रसंग का वर्णन भागवत पुराण में भी मिलता है।
जानापाव: इंदौर जिले में स्थित यह भगवान परशुराम की जन्मस्थली है। यहां परशुराम जी ने श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र भेंट किया था।
उज्जैन गोपाल मंदिर: यह 19वीं सदी में मराठा शैली में बना मंदिर है। इसका मुख्य द्वार सोमनाथ का है, जिसे महमूद गजनवी ने लूटा था और बाद में सिंधिया शासकों ने इसे वापस लाकर मंदिर की शोभा बढ़ाया।
सांदीपनि आश्रम: उज्जैन के इस आश्रम में भगवान श्रीकृष्णए बलराम और सुदामा ने गुरु सांदीपनि से 16 विद्याएं, 18 पुराण और 64 कलाओं का ज्ञान प्राप्त किया था।

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