540 करोड़ के शौचालय ही गायब, खुले में शौच करने को मजबूर लोग
शौचालय उपयोग लायक नहीं
सरपंच और ग्राम सचिवों ने शौचालय में किया खूब खेल

भोपाल, मध्यप्रदेश खुले में शौच मुक्त राज्य है। यानी 100 फीसदी ओडीएफ। मप्र को ओडीएफ बनाने के लिए सरकार ने 97,60,574 घरों में शौचालय बनवाए हैं। लेकिन भ्रष्टाचार के कारण ये शौचालय कागजों में ही रह गए। प्रदेशभर में लाखों लोग आज भी खुले में शौच करने को मजबूर हैं। दरअसल, प्रदेशभर में जो शौचालय बनाए गए हैं या तो वे कागजों पर बने हैं या फिर गुणवत्ताहीन हैं। सरकार ने कई स्तरों पर इसकी जांच-पड़ताल भी की, लेकिन भ्रष्टाचारियों तक आंच नहीं पहुंची। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी। इसके लिए घर-घर शौचालय के जरिए स्वच्छता की योजना परवान चढऩी थी, मगर भ्रष्टाचार की गंदगी ने इसे भी गंदा कर डाला। भ्रष्टाचारियों ने गांव में शौचालय निर्माण की योजना को चूना लगा दिया। अब खुले में शौच मुक्त अभियान की सच्चाई खुलकर सामने आने लगी है। सरपंचों और ग्राम सचिवों ने शौचालय निर्माण में जमकर खेला किया।
सात साल में 96,60,574 शौचालय बनाए गए
मप्र में स्वच्छ भारत अभियान के तहत सात साल में 96,60,574 शौचालय बनाए गए हैं। इनमें से स्वच्छाग्रहियों की मदद से 62 लाख 78 हजार 514 घरों में शौचालय बनाए गए हैं। ये ऐसे घर थे, जिनमें रहने वाले सदस्य शौच के लिए खुले में जाते थे। वजह थी घर में शौचालय का नहीं होना। ऐसे 55 लाख 78 हजार 514 घरों में सरकार की मदद से शौचालय बनाए गए हैं। वहीं 7 लाख घरों में रहने वाले लोगों ने स्वेच्छा से शौचालय बनवाए हैं। लेकिन, हकीकत यह है कि आज लाखों शौचालयों का उपयोग नहीं किया जा रहा है। यही नहीं, प्रदेशभर में लाखों शौचालयों की स्थिति इतनी खराब है कि लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं।
बिना गड्ढे और सीट के बन गया शौचालय
प्रदेशभर में शौचालय निर्माण में जमकर घोटाले हुए हैं। न गड्ढा बनाया, न ही लगाई सीट, केवल दीवार खड़ी कर राशि आहरित कर ली गई है। राजधानी भोपाल, सीहोर, रायसेन, सतना, सीधी, बैतूल, सिंगरौली, खंडवा, बुरहानपुर सहित डेढ़ दर्जन जिलों की स्थिति का आंकलन करने के बाद यह पाया गया कि शौचालय निर्माण में जमकर भ्रष्टाचार किया गया है, जिसके कारण लोग खुले में शौच करने को मजबूर हो रहे हैं।
कोरोना काल में भी खुले में शौंच
कोरोना संक्रमणकाल में जब लॉकडाउन और कोरोना कफ्र्यू लगा था, उस दौरान भी लोग खुले में शौच करने को मजबूर थे। एक तरफ सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने खुले में थूकने के लिए प्रतिबंध लगाया है। वहीं दूसरी तरफ ग्रामीणों की खुले में शौंच के लिए जाना मजबूरी बनी हुई है। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि लॉक डाउन के दौरान खुले में शौंच के लिए जाते समय कई बार पुलिस द्वारा गस्त के दौरान डंडे भी बरसाए गए। सीधी जिले की जनपद पंचायत रामपुर नैकिन के मड़वा ग्राम पंचायत के लोगों ने शौंचालय निर्माण के नाम पर लाखों रुपए के घोटाले का आरोप लगाया।
कागज पर बने 4.5 लाख शौचालय
बैतूल में तो हैरान करने वाला मामला सामने आया। तस्वीरों और पेपर पर तो 4.5 लाख शौचालय दिख रहे हैं। लेकिन स्पॉट पर जाने पर एक भी नहीं दिखा है। ऐसे में सवाल है कि क्या वह वहां से पलायन कर गए या फिर कोई बड़ा घोटाला हुआ है। इसे बनाने में 540 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। इन सभी जीपीएस टैग फोटो भी थे, मगर मौके पर कहीं दिखा नहीं। जांच में यह बात सामने आई है कि जिन जगहों पर टॉयलेट निर्माण की बात कहीं जा रही है, वहां एक भी टॉयलेट नहीं मिले हैं। हालांकि प्रशासन के पास सभी टॉयलेट्स की जीपीएस-टैग की गई तस्वीरें हैं। पूरे खुलासे के बाद सरकार उन पर खर्च किए गए पैसे वसूलने की तैयारी कर रही है।
इनका कहना है
स्वच्छ भारत अभियान के तहत मप्र में शौचालय निर्माण में अगर कहीं गड़बड़ी हुई है तो दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। अगर आपके पास कोई और कहीं की भी जानकारी हो तो शिकायत दर्ज कराइए। हम उसकी लोकायुक्त से जांच कराएंगे।
महेंद्र सिंह सिसोदिया, मंत्री, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग
वर्ष 2012 में प्रदेश में एक सर्वेक्षण किया गया था और राज्य में बिना शौचालय के 62 लाख से अधिक गरीबी रेखा वाले घरों की पहचान की गई थी। दो अक्टूबर 2018 को, इन सभी शौचालयों का निर्माण पूरा हो गया था। लेकिन पड़ताल में लगभग 4.5 लाख शौचालय गायब पाए गए। खुलासे के बाद सरकार उन पर खर्च किए गए पैसे वसूलने की तैयारी कर रही है।
अजीत तिवारी, उप निदेशक,स्वच्छ भारत मिशन, मप्र
जिलावार बने शौचालय
जिला शौचालय
सतना 364319
रीवा 360214
छिंदवाड़ा 354471
धार 348325
बालाघाट 287669
सागर 283331
खरगोन 267415
सिवनी 254650
बैतूल 235584
शिवपुरी 221943
मंडला 220853
दमोह 220702
देवास 217222
छतरपुर 217183
उज्जैन 214061
सीहोर 213894
रायसेन 211583
खंडवा 204767
मंदसौर 201722
कटनी 200589
बड़वानी 199008
विदिशा 198885
जबलपुर 189881
नरसिंहपुर 189602
टीकमगढ़ 188770
झाबुआ 188436
रतलाम 185774
भिंड 181694
होशंगाबाद 181524
राजगढ़ 180953
सीधी 180429
मुरैना 164571
डिंडोरी 158514
इंदौर 157949
शहडोल 156814
शाजापुर 156499
पन्ना 153930
सिंगरौली 150973
गुना 145337
अनूपपुर 142095
बुरहानपुर 126252
अलीराजपुर 111682
उमरिया 111073
श्योपुर 101125
ग्वालियर 110278
अशोकनगर 103389
नीमच 99036
हरदा 93580
भोपाल 88840
दतिया 83710
आगर मालवा 79474

कुल 9660574

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