खुलनी थी 158 राशन दुकान, अब तक पांच साल में सिर्फ 18 खुली

सीहोर। पांच साल पहले महिलाओं को रोजगार देने व परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए पंजीकृत स्वयं सहायता समूह को ग्रामीण क्षेत्र में राशन दुकानों संचालन सौंपने के निर्देश दिए थे, जिसका खाद्य विभाग ने सर्वे कर समूहों से दस्तावेज लेकर उन्हें राशन दुकान संचालित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी, लेकिन पांच साल बाद 183 दुकानों में से अभी तक
सीहोर। पांच साल पहले महिलाओं को रोजगार देने व परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए पंजीकृत स्वयं सहायता समूह को ग्रामीण क्षेत्र में राशन दुकानों संचालन सौंपने के निर्देश दिए थे, जिसका खाद्य विभाग ने सर्वे कर समूहों से दस्तावेज लेकर उन्हें राशन दुकान संचालित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी, लेकिन पांच साल बाद 183 दुकानों में से अभी तक सिर्फ 18 राशन की दुकानें ही खुल सकी है। ऐसे में आज भी ग्रामीणों को 5 से 7 किमी दूर खाद्यान्ना लेने जाना पड़ रहा है, वहीं जिनके दस्तावेज देने के बाद भी दुकानें नहीं खुली हैं, वह आज भी विभागों के चक्कर काट रहे हैं।
जानकारी के अनुसार जिले 497 ग्राम पंचायत व 1069 गांव हैं, जिनमें पात्र हितग्राहियों को राशन वितरण की व्यवस्था का जिम्मा 204 कंट्रोल की दुकानों को सौंपा गया है। ऐसे में 865 गांव के हितग्राहियों को दूसरे गांव में राशन लेने जाना पड़ रहा है। इस समस्या के निराकरण के लिए ही स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को राशन वितरण की जिम्मेदारी 183 नई दुकानों को सौंपन के निर्देश दिए थे, लेकिन पांच साल बीतने के बाद भी अभी खाद्य विभाग की हीलाहवाली के चलते सिर्फ 18 ही दुकानों समूहों को मिल सकी है। जबकि सभी के दस्तावेज लेने के बाद भी प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है, जिससे स्वयं सहायता समूहों को दुकानों के आवंटन के लिए विभागों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, वहीं हितग्राहियों को 5 से 7 किमी दूर मजदूरी छोड़कर राशन लेने जाना पड़ रहा है।
भवनों का भुगत रहे किराया व अन्य परेशानी
शासन की मंशा थी कि पंजीकृत स्वयं सहायता समूह को दुकान आवंटन के बाद महिलाओं को रोजगार मिलेगा। परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरेगी, जिसमें पंजीकृत स्वयं सहायता समूह को ही प्राथमिकता देने की बात कही थी। जिसमें राशन दुकान संचालन के लिए महिलाओं की समिति तैयार की गई थीं। साथ ही दस्तावेज सहित पांच-पांच हजार रुपये की एफडी भी कराई गई थी और राशन दुकान संचालन के लिए दुकानें भी किराए पर लेली, लेकिन अभी तक दुकानें नहीं खुलने से शासन की मंशा पर पानी फिरता नजर आ रहा है।
हितग्राही को नहीं मिल पाता खाद्यान
हितग्राहियों ने बताया कि एक-एक राशन दुकान पर तीन से चार गांव के हितग्राही खाद्यान लेने पहुंचते हैं, जहां आवंटन के समय जमकर भीड़ हो जाती है। ऐसे में हितग्राहियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। कई बार खाद्यान नहीं मिलने से दो से तीन चक्कर काटने पड़ते हैं, वहीं मजदूरी का भी नुकसान उठाना पड़ता है। इतना ही नहीं कई बार आवंटन नहीं आने व खत्म होने पर भी खाली हाथ लौटना पड़ता है।
चल रही है प्रक्रिया
18 राशन दुकानों को आवंटन किया जा चुका है, वहीं 158 दुकानों की प्रक्रिया में हैं। जल्द ही इन्हें शुरू कराया जाएगा। हालांकि कई समूह ऑनलाइन प्रक्रिया होने के बाद इसमें रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
एसके तिवारी, जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी सीहोर

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