सीहोर। नलजल योजना का काम करा रहा बिरला कंपनी का ठेकेदार एक माह पहले सतना के अमरपाटर से 300 रुपये रोज की मजदूरी तय कर अपने वाहन से 28 मजदूरों को आष्टा लाया था, जिनसे आष्टा सहित भवंरा में नल कनेक्शन की पाइप लाइन बिछाने 30 दिन मजदूरी कराई, लेकिन जब मजदूरों ने मजदूरी मांगी तरीख बढ़ाता गया, जिससे परेशान मजदूर दो दिन से कलेक्ट्रेट कार्यालय के चक्कर काटने के साथ ही जिम्मेदारों से न्याय की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अभी शुक्रवार की देर शाम तक कोई संतोषजनक जबाव नहीं मिला, वहीं ठेकेदार द्वारा मजदूरों को पैसे देने की जगह धमकाया जा रहा है।
मजदूरी करने आए गजेंद्र चौहान ने बताया कि आष्टा के ग्राम भवरा और ग्राम बेतवाड़ा दोनो जगह नलजल योजना के तहत नल कनेक्शन का काम चल रहा है, जो सतना के अमरपाटन के 28 मजदूरों से पिछले एक माह से मजदूरी कर रहे हैं, जिन्हें बिरला कंपनी का ठेकेदार 300 रुपये रोज की मजदूरी की शर्त पर लाया था, लेकिन पहले तो ठेकेदार प्रशांत यादव ने तारीख बढ़ाई और फिर अपनी बात से मुकर गया। साथ ही कहा कि 300 रुपये रोज नहीं मैं खुदाई के मीटर से नपती कर पैसे दूंगा, जिसके बाद मजदूरों ने कहा हमें काम नहीं करना हमार 30 दिन का 9 हजार रुपये के हिसाब से करीब 2 लाख 70 हजार रुपये का भुगतान कर दो, जिसे ठेकेदार ने देने से मना कर दिया, जिसके बाद मजदूर गुरुवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे, जहां श्रम अधिकारी से मिलकर मजदूरी दिलाने की बात कही, लेकिन उन्होंने कार्रवाई का आश्वासन देकर उन्हें चलता कर दिया। इसके बाद मजदूरों ने वायपास पर रात गुजारी। साथ ही सतना में जनप्रतिनिधियों से संपर्क किया, जिन्होंने कलेक्टर से मिलने की बात कही। इसके बाद शुक्रवार सुबह ही मजदूर अपना सामान सिर पर लेकर कलेक्ट्रेट गेट पर जाकर बैठ गए और उनके आने का इंतजार किया, लेकिन कलेक्टर की बैठक होने से शाम चार बजे तक भी वह नहीं मिल पाए, वहीं संयुक्त कलेक्टर ब्रिजेश सक्सेना ने ज्ञापन लेकर आश्वासन देकर उन्हें जाने को कहा, लेकिन मजदूरों का कहना था कि उनके पास पैसे व खाने तक के लिए पैसे नहीं है। हमारी समस्या का निराकरण कराओं। घंटो इंतजार के बाद जब वह श्रम अधिकारी के पास पहुंचे तो उन्हें भगा दिया गया। जबकि मजदूर न्याय के लिए भटक रहे हैं। वहीं श्रम अधिकारी प्रियंका बंशीवाल का कहना है कि ठेकेदार को बुलाकर पूरे मामले की जांच कराई जाएगी।
समाजसेवी संगठन ने की मास्क व भोजन की व्यवस्था
जब यह बात उंगली संगठन के सदस्य आशु राजोरिया, प्रदीप समाधिया, अनुराग शर्मा आदि को पता चला कि मजदूरों के साथ छोटे-छोटे बच्चे व सामान है। किसी के पास मास्क नहीं है और वह भूखे हैं, तो उन्होंने पर मौके पर पहुंचकर सभी मजदूरों को मास्क वितरित करने के साथ ही सभी को भोजन कराया। इसके बाद मजदूर फिर कलेक्ट्रेट पहुंच गए और शाम तक कलेक्टर से दो दिन तक मिलने का प्रयास करते रहे, लेकिन श्रम अधिकारी ने मिलने नहीं दिया।