डेढ साल के बेटे को घर पर छोड कोविड मरीजों को संभाला नर्स नीलम चौपड़ ने

सीहोर। अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर जिले की साहसी महिलाओं की कहानियां लाये हैं जो विपरीत परिस्थितियों में भी पूरी मेहनत और लगन के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रही हैं समाज के लिए यह नायिकाओ से कम नही जो आज जिले में साहस, समर्पण और सेवा की नजीर बन गई हैं।
ममता के साथ निभाया ड्यूटी का फर्ज
डेडीकेडेट कोविड हेल्थ सेंटर में कोरोना संक्रमण के बीच जान जोखिम में डाल बीते एक साल से नर्स नीलम चौपडा निरंतर डयूटी कर रही हैं। वह अपने ढाई साल के बेटे को कभी अपनी मॉ तो कभी सास के पास छोडकर डयूटी करती हैं। 
कोविड सेंटर में मरीजों की सेवा करना उन्हें अच्छा लगता है डयूटी को वह जिम्मेदारी और फर्ज मानती हैं। 
यह इतना आसान नहीं था आज कोरोना का वैक्सीन आ चुका है लेकिन संक्रमण के शुरुआती दौर में जब कोई दवाई नहीं थी लोगों में डर था। परिवार और कर्तव्य के बीच किसे चुने यह फैसला नीलम को करना था मासूम बच्चे की देखभाल और उसे संक्रमण से बचाना। नीलम को परिजनों के अलाव अन्य लोगों ने भी समझाया कि कोविड सेंटर में ड्यूटी मत करो किसी और वार्ड में कर लो। नीलम बताती हैं कि सावधानी रखकर आप कोरोना से बच सकते हैं। वह अपने मासूम बच्चे को कभी मॉ तो कभी सास के पास छोडकर कोविड वार्ड में डयूटी करती थी। दिन में 6 घंटे तो रात में 12 घंटे की डयूटी वह करती हैं। 
मरीजों का बढाया मनोबल
वह कहती हैं कि संक्रमित व्यक्ति पहले से ही डरा होता है। इसलिए उसका बहुत ध्यान रखना चाहिए। वह मरीज की मेंटल काउंसिल कर उसका मनोबल बढाती है। जिससे कोरोना का डर उसके दिमाग से निकल जाए। 

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