सीहोर। सांसद-विधायकों को अपनी स्वच्छ और लोकप्रिय छवि बनाने के लिए दिन-रात मेहनत करना पड़ती है, तब कही जाकर उनकी लोकप्रियता लोगों के सिर चढक़र बोलती है। लेकिन जनप्रतिनिधियों की इस लोकप्रिय छवि को कुछ कार्यकर्ता खराब करने से बाज नहीं आते हैं। एक ऐसा ही मामला सीहोर विधानसभा क्षेत्र के लोकप्रिय विधायक सुदेश राय की विधानसभा क्षेत्र का आया है। जहां एक पूर्व सरपंच और सचिव ने मिलकर विधायक सुदेश राय की विधानसभा क्षेत्र के भोले-भाले ग्रामीणों के साथ धोखा कर दिया। यह मामला लगातार सुर्खियों में है और विधानसभा क्षेत्र के ग्रामीण भी यही कह रहे हैं कि कुछ कार्यकर्ता विधायक जी की छवि खराब करने में लगे हैं।
दरअसल सीहोर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम झरखेड़ा में बीजेपी के मंडल अध्यक्ष की पत्नी तत्कालीन सरपंच और सचिव ने मिलकर गांव की बेशकीमती जमीन को खुर्दबुर्द कर दिया है। बिना प्रशासकीय और तकनीकी स्वीकृति के पंचायत क्षत्र में दुकानों का निर्माण कराया, जबकि राजस्व रिकार्ड में इन दुकानों का निर्माण दर्ज ही नहीं। शिकायत के बाद जब जांच में यह बात सामने आई तो तत्कालिन जिला पंचायत सीईओ आशीष तिवारी ने पूर्व सरपंच और सचिव पर एफआईआर कराने के निर्देश दिए। इस पत्राचार को करीब दो माह होने को आए हैं लेकिन जनपद पंचायत सीईओ सीहोर द्वारा अभी इस मामले में प्रकरण दर्ज नहीं कराया गया है। चर्चा है कि बीजेपी मंडल अध्यक्ष के दबाव में जनपद सीईओ एफआईआर दर्ज नहीं करा पा रही।
बता दें सीहोर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम पंचायत झरखेड़ा में वर्ष 2022 के पूर्व 17 दुकानों का निर्माण कराया गया, जिनमें नियमों का उल्लघंन और वित्तीय गढ़बडिय़ा जांच में सामने आई हैं, लेकिन चौंकाने वाली बात तो यह है कि एफआईआर दर्ज कराने के निर्देशों के बाद भी इस पूरे मामले में जिम्मेदार चुप्पी साधे बैठे हैं। ऐसे में अफसरों की कार्यप्रणाली पर अब उंगलियां उठने लगी है। आखिर किन कारणों के चलते पूर्व सरपंच-सचिव पर मामला दर्ज नहीं हो सका।
दुकान वितरण और राशि की नहीं जानकारी
जांच के दौरान दुकान खरीददारों ने पूर्व सरपंच और सचिव पर गंभीर आरोप लगाए। झरखेड़ा के कैलाश चन्द्र ने बताया कि उन्होंने एक दुकान नीलामी में खरीदी थी जिसकी कीमत दो लाख 86 हजार रुपए निर्धारित की गई थी लेकिन उसे दुकान क्रय रसीद 65 हजार दी गई. मुलीबाई ने बताया एक लाख 8 हजार नगद भुगतान करने पर उसे 45 हजार की रसीद दी गई. उसने एक लाख 45 हजार रुपए नगद दिए जबकि उसे 45 हजार की रसीद मिली। जगदीश विश्वकर्मा ने बताया कि एक दुकान उसने नीलामी में खरीदी थी जिसकी कीमत एक लाख उनके द्वारा पूर्व सरपंच को नगद दिए गए थे लेकिन उसे 45 हजार रुपए की रसीद दी गई। इसी प्रकार गांव के ही लखन मेवाड़ा ने बताया कि उसके दुकान के लिए एक लाख 40 हजार नगद पूर्व सरपंच को दिए जबकि उसे 45 हजार की रसीद दी गई। दुकान विक्रय के दौरान ज्यादा राशि दुकानों से ली गई जबकि उन्हें कम राशि की रसीदेें दी गई। जिनका जानकारी भी ग्राम पंचायत कार्यालय में मौजूद नहीं है।
जिम्मेदारों को गोल-माल जबाव
इधर यह मामला सत्ताधारी दल से जुड़ा होने के चलते शासन के अधिकारी भी गोलमाल जबाव दे रहे हैं। सीहोर जिला पंचायत के प्रभारी सीईओ का कहना है कि झरखेड़ा के पूर्व सरपंच और सचिव के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए जनपद पंचायत सीईओ को रिमांडर लेटर भेजा जाएगा। जब इस संबंध में जनपद सीईओ नर्मिला बघेल से एफआईआर के संबंध में बात की तो वह कहतीं हैं कि पुलिस से पूछिए। जब इस मामले में दोराहा थाना प्रभारी से बात की तो वह बोले, हम तो इंतजार में ही बैठे हैं कोई आए तो सही।