सवा महीने बाद भी इम्होटेप अस्पताल पर नहीं हुई कार्रवाई
प्रशासन की जांच समिति को मिली थी 11 खामियां
सीहोर. आम आदमी की मौत और परिजनों के आंसूओं से सियासत को कोई लेना देना नहीं होता है. सियासत तो बस अपनी मनमर्जी चलाने मं लगी रहती है. जैसा कि इन दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बुदनी विधानसभा में देखने को मिल रहा है. यहां एक प्रसूता की मौत के बाद उसे डेढ़ महीने बाद भी न्याय नहीं मिल सका है. जबकि प्रसूता की मौत के बाद जिला प्रशासन की टीम ने निरीक्षण किया था. जिला प्रशासन की इस टीम को यहां 11 खामियां मिली थी. बताया जा रहा है कि जिला प्रशासन की कार्रवाई में अब बुदनी की सियासत आड़े आ रही है.
जानकारी के अनुसार नसरुल्लागंज के निजी अस्पताल इम्होटेप अस्पताल की लापरवाही से एक प्रसूता की मौत हो गई थी. इस मामले में प्रसूता के परिजन ने इम्होटेप अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए इंदौर-भोपाल हाईवे पर चक्काजाम कर दिया था. इस मामले में तीन दिसंबर को जिला प्रशासन की टीम ने अस्पताल का निरीक्षण किया था. टीम को यहां 11 खामियां मिली थी. जिला प्रशासन ने एक महीने का नोटिस देकर जवाब मांगा था, जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर कार्रवाई की बात कही थी. नोटिस पीरियड की अवधि छह जनवरी निर्धारित थी. नोटिस को डेढ़ महीने का समय बीत गया है, लेकिन जिला प्रशासन की और से कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है. बताया जा रहा है जिला प्रशासन की कार्रवाई के आड़े बुदनी की सियासत आ रही है. प्रसूता की मौत न्याय और परिजनों के आंसूओं के आड़े आ रही सियासत से लोग संतुष्ट नहीं है.
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुधीर कुमार डेहरिया द्वारा दिए गए नोटिस में बताया था कि प्रसूता की मौत के बाद टीम ने इम्होटेप अस्पताल का निरीक्षण किया था. जांच पाया गया था कि उक्त प्रकरण की जांच करने पर यह प्रतीत होता है कि संचालक द्वारा मापदण्डों के अनुसार अस्पताल का संचालन नहीं किया जा रहा हे. अस्पताल का स्टाफ पूर्ण रूप से प्रशिक्षित नहीं है. एक्सरे तकनीशियन से आईसूयी में कार्य कराया जा रहा है जो एक गंभीर अनियमित्ता है एवं आईसीयू/पोस्टमार्टम वार्ड में बीएचएमएस चिकित्सक को पदस्थ कार्य कराया जा रहा है. श्री वीरेन्द्र राजपूत जो कि नर्सिंग स्टाफ है जिनके काउसिंल का पंजीयन की वैद्यता समाप्त हो चुकी है. समिति द्वारा बताया गया कि अस्पताल के संचालन द्वारा मृतिका नेहा के इलाज में लापरवाही की गई है. जिस उपरांत समिति द्वारा अनुशंसा की गई है कि संचालक द्वारा शासकीय नियमों का पालन नहीं करने तथा निर्धारित मापदण्डों के अनुसार स्टाफ पदस्थ नहीं करने के कारण वर्तमान में अस्पताल का पंजीयन समाप्त करना प्रस्तावित किया गया है. अत: उक्त कारण बताओ नोटिस के माध्यम से आपको निर्देशित किया जाता है कि एक माह में अपना अभिमत अद्योहस्ताक्षरकर्ता को समक्ष में उपस्थित होकर प्रस्तुत करेंगे. समय अवधि में एवं जवाब उत्तर संतोषजनक न होने की स्थिति में आपका पंजीयन निरस्त करते हुए आपके विरुद्ध न्यायालयीन कार्यवाही की जावेगी. बता दें कि प्रशासन द्वारा दिए गए इस नोटिस को एक महीने से अधिक समय बीत गया है. हालांकि इस मामले में कलेक्टर प्रवीण कुमार सिंह का कहना है कि इम्होटेप अस्पताल का मामला संज्ञान में है. नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी.