देश में किसानों की स्थिति किसी से भी छुपी नहीं है। सरकार द्वारा किसानों के हित में कई योजनाओं का क्रियान्वयन भी किया जा रहा है, और कई योजनाएं चल भी रही हैं। लेकिन इन सब के बावजूद किसानों का कर्ज जस का तस है इतना ही नहीं इन कर्जों में बढ़ोत्तरी ही देखने को मिल रही है। ऐसे में देश के तमाम किसान सरकार से इस कर्ज माफी को लेकर अपेक्षा किए हुए हैं। लेकिन हैरानी वाली बात यह है कि सरकार के पास इस तरह की कोई भी अपील नहीं है और न ही इससे जुड़ा कोई प्रस्ताव आया है।
किसानों की कर्ज माफी को लेकर केन्द्र सरकार ने लोक सभा में एक लिखित सवाल के जवाब में यह स्पष्ट कर दिया है कि किसानों के कर्ज माफी से जुड़ा कोई भी प्रस्ताव अब तक उनके पास नहीं आया है और न ही कोई मामला विचाराधीन है। सरकार की तरफ से किसानों के हित में जो योजनाएं चल रही है उनके बारे में भी जानकारी व्यक्त की गई। इस दौरान सरकार ने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के किसानों सहित अन्य किसानों का कर्ज माफ करने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
कृषि ऋण माफी को लेकर कोई योजना नहीं
वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि केन्द्र ने ‘कृषि ऋण माफी और ऋण राहत योजना 2008’ के बाद से कोई भी कृषि ऋण माफी योजना लागू नहीं की है। उन्होंने बताया कि ‘देश में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के किसानों सहित अन्य किसानों का कर्ज माफ करने का भारत सरकार के पास कोई प्रस्ताव अब तक नहीं आया है और न ही कोई विचाराधीन है। आगे उन्होंने बताया कि 3 लाख रूपए के अल्पकालिक फसल ऋण के लिए ब्याज सबवेंशन, आरबीआई के संपाश्र्विक-मुक्त कृषि ऋण की सीमा को 1 लाख रूपए से बढ़ाकर 1 रूपए करने जैसी योजनाओं का हवाला दिया है।
किसानों की आत्म हत्या का मामला लोकसभा में उठा
लोकसभा में पिछले दिनों कई मुद्दों को उठाया गया जिसमें किसानों की आत्महत्या को लेकर भी एक मुद्दा था। इस दौरान सरकार से पूछा गया कि क्या सरकार बताएगी कि पिछले तीन साल में अलग-अलग राज्यों में कितने किसानों ने आत्महत्या की है? यह भी पूछा गया कि क्या सरकार किसानों की आत्महत्या की घटनाओं का कोई ब्योरा रखती है? इन सवालों के जवाब में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा, गृह मंत्रालय के अधीन आने वाले राष्ट्रीय अपराध रिकाॅर्ड ब्यूरो अपनी रिपोर्ट एक्सीडेंटल डेथ्स एंड सुसाइड्स इन इंडिया में आत्महत्याओं पर सूचनाओं को जुटाता और प्रसार करता है।
इस वजह से किसान कर रहे आत्महत्या
किसाना आत्महत्या को लेकर केन्द्रीय मंत्री ने बताया कि एनसीआरबी ने 2019 तक की रिपोर्ट प्रकाशित की है, जो वेबसाइट पर उपलब्ध है। एनसीआरबी रिपोर्ट में 2017 से 2019 की घटनाओं का जिक्र है। इस रिपोर्ट में संख्या बताई गई है लेकिन किसानों की आत्महत्या के कारणों का उल्लेख नहीं किया गया है। इन किसानों साहित व्यक्तियों द्वारा आत्महत्या का कारण पारिवारिक समस्याएं, बीमारी, नशाखोरी या व्यसन, विवाह संबंधी मुद्दे, प्रेम संबंध, दिवालियापन या ऋणग्रस्तता, परीक्षा में विफलता, बेरोजगारी, संपत्ति विवाद, पेशेवर या करियर समस्या शामिल है।