सीहोर,
डेढ़ साल की अर्पिता के नन्हें कदम चलने पर डगमगाने लगते थे, थक कर बैठ जाती थी। सांस लेने में बहुत तकलीफ होती थी। वजन भी नहीं बढ़ रहा था। पूरा परिवार इसी चिंता में रहता था कि अर्पिता का इलाज कैसे होगा और होगा तो खर्च कितना आएगा। इससे भी ज्यादा चिंता की बात की यह थी कि इलाज के लिए रूपया कहां से आएगा। बुदनी तहसील के अंतर्गत ग्राम भोमदा निवासी अर्पिता के पिता श्री रामकृष्ण इसी चिंता में दिन-रात डूबे रहते थे। रामकृष्ण और उसके परिवार की सारी परेशानियों को आसान बनाया राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम ने। बुदनी में पदस्थ आरबीएस के चिकित्सा अधिकारी डॉ. हेमंत बेन को आंगनबाड़ी में स्क्रीनिंग और भ्रमण के दौरान अर्पिता की बीमारी का पता चला। अर्पिता की स्क्रीनिंग कर शासकीय खर्च पर उपचार के लिए मुम्बई के एसआरसीसी चिल्ड्रन अस्पताल भेजा गया। जहां 7 जुलाई को सफल ऑपरेशन के साथ ही संपूर्ण इलाज हुआ। इस इलाज पर 2 लाख 35 हजार रूपए का खर्च राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम से किया गया।
अर्पिता अब पूरी तरह स्वस्थ है। उसके पिता रामकृष्ण का कहना है कि उनकी बच्ची को नया जीवन मिला। उन्हें जांच से लेकर उपचार में कोई दिक्कत नहीं हुई और ना ही कुछ खर्च करना पड़ा। यह सब आसान हुआ राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम से। उन्होंने अपनी बच्ची के इलाज के लिए स्वास्थ्य विभाग और सरकार को धन्यवाद दिया।