लगातार लिखते हैं मगर कभी कभी कुछ ऐसा होता है जिसे लिखने में हमारे हाथ भी कांपते हैं। वरिष्ट पत्रकार राजकुमार केसवानी नहीं रहे ये लिखने में सच हाथ थरथरा रहे हैं। केसवानी जी भोपाल ही नही देश के उन पत्रकारों मे से थे जिनका देश विदेश में नाम था। जिनकी लिखी खबरें सच होती थीं। भोपाल गैस कांड की चेतावनी देती उनकी खबर 1984 में जनसत्ता में छपी और अंधी सरकार की अनदेखी के बाद भोपाल को हजारों लोगों की मौत का जख्म मिल गया। इस एक खबर ने उनको देश दुनिया में चर्चित कर दिया था। उनको उस वक्त पत्रकारिता का सबसे बडा बी डी गोयनका अवार्ड तो मिला ही उस घटना पर हालीवुड की फिल्म ए प्रेयर फार रेन भी बनी। जिसमें उनका किरदार भी रखा गया। केसवानी ने एनडीटीवी के संवाददाता के तौर पर संयुक्त मध्यप्रदेश में अनेक चर्चित कहानियां की और सरकार को जगाते रहे। अपनी पत्रकारिता के सक्रिय दौर में वो मध्यप्रदेश की पत्रकारिता में बडे नाम के तौर पर जाने जाते रहे।
मगर केसवानी जी को सिर्फ पत्रकार के दायरे में नहीं समेटा जा सकता। पत्रकार तो वो थे ही इससे अलग फिल्मों के गहरे जानकार, संगीत की जबरदस्त समझ रखने वाले मर्मज्ञ और साहित्यकार के तौर पर लगातार काम करने वाले व्यक्ति रहे। अपने मुंबई में गुजारे दिनों की यादों और दोस्तियों को उन्होंने दैनिक भास्कर के रसरंग के कालम आपस की बात में लगातार लिखा। बातें फिल्मों की बातें फिल्मी गीतों की पर लिखी उनकी किताब बाम्बे टाकी में इन्हीं कालम को समेटा गया है। अब तक की सबसे चर्चित फिल्म मुगले आजम पर हाल में आयी उनकी भव्य किताब दास्ताने मुगले आजम आप पढकर हैरान रह जायेंगे कि किसी एक फिल्म पर इतने जोरदार किस्से और वो भी तारीख और तथ्यों के साथ। साहित्य में भी उनका बराबर का दखल था। दो कविता संग्रह उनके आये और सूफी कवि रूमी की फारसी कविताओं का अनुवाद जहान ए रूमी भी उन्होंने लिखा। पहल पत्रिका के संपादन में वो लंबे समय तक ज्ञानरंजन जी के साथ जुडे रहे। साहित्यिक पत्रिकाओं में उनकी कहानियां भी छपतीं रहीं।
किसी एक पत्रकार के इतने सारे रूप और हर रंग में झंडे गाडना कोई केसवानी जी से सीखे। जिस विधा में उन्होंने हाथ डाला अपनी छाप छोडी। सख्त मिजाज केसवानी दिल के बेहद नर्म थे। लोगों से दोस्ती और दूरी रखने में उनको महारत हासिल थी। केसवानी जी का जाना हमारी पीढी के उस लैंप पोस्ट का जाना है जो अपने लंबे अनुभव, गहन जानकारी और गहरे ज्ञान से हम सबको राह दिखाते थे। सही मायनों में राजकुमार केसवानी किसी अखबार पत्रिका चैनल नहीं बल्कि उस समाज के पत्रकार के तौर पर जाने जायेगे जो अपने पाठकों के हितों की चिंता और फिक्र करता रहा। इसलिये वो हमारे आपके केसवानी जी थे। सादर नमन
ब्रजेश राजपूत,