भोपाल:प्रदेश में बेरोजगारी बरकरार है… सरकारी विभागों में नियुक्ति और भर्ती को लेकर खींचतान की स्थिति बनी हुई है। प्रदेश के विभिन्न विभागों में 90 हजार से अधिक पद खाली हैं। बहुत सारे विभाग तो ऐसे हैं, जहां चयन के बाद भी उम्मीदवारों को नियुक्ति पत्र नहीं दिए जा रहे। नतीजा- उम्मीदवार नौकरी की आस में विभागों के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
हालात यह हैं कि पिछले तीन साल से कोई बड़ी भर्ती परीक्षा भी नहीं हुई है। निजी एजेंसियों के मुताबिक प्रदेश में डेढ़ करोड़ बेरोजगार हैं। राज्य सरकार के रोजगार पोर्टल पर करीब 35 लाख बेरोजगार रजिस्टर्ड हैं। इनमें 90 फीसदी मप्र के मूल निवासी हैं।
ये आंकड़ा सरकारी पोर्टल पर रजिस्टर्ड है, लेकिन बेरोजगारों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है।
2018 तक ही चल पाया मप्र रोजगार बोर्ड
90 फीसदी बेरोजगार मध्यप्रदेश के मूल निवासी हैं
1.50 करोड़ बेरोजगार हैं प्रदेश में अनुमान के मुताबिक
03 साल से कोई बड़ी भर्ती परीक्षा ही नहीं हुई
मेले तो लगते हैं, नहीं मिलता रोजगार: आईटीआई गोविंदपुरा में मंगलवार को रोजगार मेले का आयोजन हुआ। मेले में करीब तीन हजार आवेदकों ने भाग लिया। इसमें 20 से अधिक कंपनियों ने इंटरव्यू भी लिए।
ये है हालत… कुछ एजेंसी का चयन नहीं कर पा रहे, कुछ काउंसलिंग
कहीं उम्र आ गई आड़े तो कहीं इंटरव्यू तक हो गए, लेकिन पद खाली के खाली
स्कूल शिक्षा विभाग..यहां सबसे ज्यादा 70 हजार पद खाली हैं
सबसे ज्यादा रिक्त पद स्कूल शिक्षा विभाग में हैं। यहां वर्ग एक और दो के तीस हजार रिक्त पदों के लिए तीन साल पहले परीक्षा हुई थी। अभ्यर्थी नियुक्ति के लिए भटक रहे है और जिलों में आंदोलन भी कर चुके हैं। इसी तरह वर्ग तीन के फाॅर्म भरवा लिए गए हैं, लेकिन परीक्षा की तारीख ही घोषित नहीं की। तारीख आगे बढ़ाई जा रही है। जानकारी के मुताबिक स्कूल शिक्षा में ही 70 हजार पद खाली हैं। राज्य अध्यापक संघ के अध्यक्ष जगदीश यादव ने बताया कि कई स्कूलों में प्रिंसिपल नहीं हैं।
पुलिस…तीन साल से भर्ती नहीं कई ओवरएज हो गए
पुलिस भर्ती में सबसे बड़ी समस्या आयु सीमा बढ़ाने को लेकर है। इसे लेकर नाराजगी है। पहले इन पदों के लिए आयु सीमा 33 वर्ष तय की गई थी, लेकिन तीन साल से भर्ती न होने की वजह से करीब तीन लाख उम्मीदवार ओवरएज हो गए। ये भी आयु सीमा बढ़ाने की मांग कर रहे हैंं। उम्मीदवार सत्येंद्र द्विवेदी ने बताया कि आयु सीमा बढ़ाकर 37 वर्ष की जाए। इसके लिए आंदोलन भी किए गए हैं। गौरतलब है कि पुलिस आरक्षक के 9 हजार पदों के लिए भर्ती परीक्षा 6 मार्च से होना है।
कौशल विकास विभाग- यहां इंटरव्यू तक हो गए, नियुक्ति नहीं दी
2018 में डिस्ट्रिक्ट फैसिलिटेटर के पद पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला था। उम्मीदवारों का चयन भी हो गया। 2019 में आवेदकों के इंटरव्यू, वेरिफिकेशन भी हो गया। लेकिन नियुक्ति नहीं दी गई। इसमें 102 अभ्यर्थी चयनित हुए थे। चयनित अभ्यर्थियों ने बताया कि कई बार विभाग में संपर्क किया गया, लेकिन यह कहा गया कि प्रक्रिया चल रही है। चयनित अभ्यर्थी नीरज वर्मा ने बताया कि इसमें मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग से जुड़े छात्रों का चयन हुआ था। लेकिन कोई जानकारी नहीं दे रहा।
राजस्व विभाग- यहां वेटिंग वालों को नहीं मिला मौका
2017 में पटवारी व अन्य के 9235 पदों के लिए भर्ती निकली थी। इस परीक्षा में आठ लाख से ज्यादा उम्मीदवार शामिल भी हुए। पीईबी ने मार्च 2018 में परिणाम भी घोषित कर दिया गया। इसके बाद वेटिंग में 1200 उम्मीदवार थे। जून 2018 में काउंसलिंग हुई और करीब 1300 पद रिक्त रह गए थे। लेकिन वेटिंग वालों को मौका नहीं दिया। विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने कहा कि एक हजार पद नहीं थे करीब 250 पद ही थे। अनुकंपा नियुक्ति भी दी गई थी। इसकी वैलिडिटी समाप्त हो गई है।
निजी कंपनियों में नहीं दिला पाए नौकरी… 2016 में सरकार ने निजी कंपनियों में रोजगार दिलाने मप्र रोजगार बोर्ड का गठन किया गया था। 2018 तक बोर्ड चला। तत्कालीन अध्यक्ष हेमंत देशमुख ने ग्लोबल स्किल्ड समिट और रोजगार मेले लगाए। दावा किया कि 1 लाख लोगों को उत्पादन व सर्विस सेक्टर में नौकरी मिली है। हकीकत में इन्हें इंटेट ऑफ लेटर दिए गए थे।
एक बार फिर भर्तियां करेंगे… सामान्य प्रशासन विभाग राज्यमंत्री इंदर सिंह परमार ने बताया कि दो साल पहले सरकारी विभागों में निुयक्तियां अटक गई और अब एक बार फिर से भर्तियां की जा रही हैं। कुछ परीक्षाओं को तकनीकी कारण से और कुछ में उम्मीदवाराें की मांग देखते हुए देरी हुई है। हमारी पूरी कोशिश है कि समय पर भर्ती हो और लोगों को रोजगार मिल जाए।