सीहोर। नगर पालिका व इससे लगी हुई ग्राम पंचायतों में जिला प्रशासन ने 225 अवैध कालोनियां चिहिंत की हैं, लेकिन अब कार्रवाई के नाम पर शेरपुर व बिजोरी की सिर्फ 19 कॉलोनियों पर ही एफआइआर के लिए एसडीएम ने पत्र लिखा है। जबकि रेरा सहित अन्य अनुमतियों की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध है। ऐसे में यदि अवैध कॉलोनियों की रजिस्ट्री पर रोक लगाई जाए, तो राजस्व सहित आमजन को इसका फायदा मिलेगा, लेकिन समय-समय पर कार्रवाई का डर दिखाकर कॉलोनियों को जमीदोज करने के बाद वह फिर बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं। जिससे सबसे अधिक नुकसान आमजन व शासन को हो रहा है।
जिले में सीहोर, आष्टा, इछावर, नसरुल्लागंज, बुदनी, जावर सहित अन्य जगहों पर 500 से अधिक कालोनियां काटकर प्लाट बेच दिए हैं और बेचने की फिराक में हैं, लेकिन यह घरोदों के सपने देख रहे लोगों को दस्तावेज दिखाकर मनमाफिक कीमत में प्लाट व मकान बेच देते हैं, लेकिन रेरा या अन्य साइट पर इन कॉलोनियों की स्थिति स्पष्ट जिला प्रशासन ने नहीं की है कि यह वैध हैं या अवैध हैं। यही कारण है कि रजिस्ट्री तो हो जाती है, लेकिन विकास से आज भी मरहूम हैं। इससे शासन के राजस्व सहित भू-स्वामी का नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं एफआइआर के लिए सिर्फ 19 कॉलोनियों की सूची जारी होने के बाद शहर में बिजोरी व शेरपुर में ही छोड़ी गई अन्य कॉलोनियों पर भी लोगों में जमकर चर्चा हो रही है।
जिले यह कॉलोनी रेरा में पंजीकृत
पारस गुलाब वाटिका फेस 2, हाउसिंगबोर्ड, मयूर विहार, निरूपम यादव ट्रेड सेंटर, ताज द क्राउन लैंडमार्क सेक्टर बी, सी और डी, द ताज क्राउंन, बिलेनियर्स लैंडमार्क सेक्टर जे, आई और एच, सेक्टर ए, बी, एफ, शांति विहार, शीतल विहार, स्तुति विहार, ग्रीन पार्क, स्मृति कॉलोनी, ऋषि विला, श्रीराधे श्याम विहार, श्री अन्नापूर्णा फेस 1 व 2, क्रिसेंट रेसीडेंसी, एवन सिटी, इंडस मेगा सिटी फेस 2, एसआर विहार, गोकुल धाम ाकॉलोनी ऐसी कॉलोनी हैं, जो रेरा की वेब साइड पर पंजीकृत हैं।
जिले में कई कालोनियां ऐसी हैं, जिन्होंने रेरा में पंजीयन कराने के लिए आवदेन किया है, लेकिन वह प्रक्रिया में है, वहीं कई कॉलोनियों के अस्वीकृत हो चुके हैं। जबकि कुछ कॉलोनियों के रेरा की अनुमति की समय सीमा निकलने के बाद पंजीयन का नवीनीकरण नहीं कराया है, लेकिन पुराना पंजीयन दिखाकर प्रशासन व आमजन को गुमराह कर मुनाफा तो काट ही रहे हैं, वहीं कार्रवाई से भी बचते नजर आ रहे हैं। यही कारण है कि इन पर कार्रवाई नहीं होने से हर दूसरे दिन एक अवैध कॉलोनी खेतों में चूना डालकर काट दी जाती है।
रेरा के अधिनियम अनुसार दिए गए समय पर कॉलोनी का विकास कार्य पूरा करना है, जिसके लिए शासन को शुल्क जमा कर विकास की अनुमति लेनी होती है, जो गिने-चुने लोगों ने ही ले रखी है। जबकि कई लोग आवेदन को ही अनुमति बताकर कार्य सुचारू रूप से कर रहे हैं। इससे शासन को तो राजस्व की काफी हानि हो ही रही है, वहीं उपभोक्ता बाउंडरी, सड़क, बिजली, पानी, नाली, सीवेज, पार्क सहित अन्य सुविधाओं से वर्षों बाद भी वंचित है।
अवैध कॉलोनियों पर लगातार कार्रवाई चल रही है, वहीं इनकी रजिस्ट्री पर रोक लगाने के लिए कानूनी परीक्षण किया जा रहा है। साथ ही वैध कॉलोनियों की सूची ऑनलाइन है। जो भी व्यक्ति घर या प्लाट खरीदता है, वह ठगी या अन्य कारणों से बचने के लिए इस सूची का परीक्षण कर ही प्लाट खरीदे।
अजय गुप्ता, कलेक्टर सीहोर