ICARDA संस्थान के बारे में डॉ. आशुतोष सरकार, (संस्था प्रमुख) द्वारा प्रक्षेत्र पर की गई गतिविधियों की जानकारी दी गई जिसमें प्रमुखता से लगभग 60,000 जर्मप्लाज्म को ईवेल्यूएट किया और 4,000 उन्नत जर्मप्लाज्म – मसूर, चना, तिवडा, कठिया गेहूँ व जौ को राज्य कृषि विश्वविधालय और भारत सहित साउथ एशिया के संस्थाओं को प्रदान किया जाता है जिसमें से कई उन्नत प्रजातियों को विकसित किया जा रहा है जो कि कम पानी में अधिक उत्पादन, रोग प्रतिरोधी रहेगी। संस्थान के जेनेटिक मटेरियल से 9 वैरायटी बांग्लादेश में व 7 वैरायटी नेपाल में प्रायोगिक चरण में है। ICARDA संस्थान लगभग 45 अन्य देशों के लिए कार्य करता है। ICARDA संस्थान के प्लेटफॉर्म मैनेजर डॉ. निगमानंदा स्वाई द्वारा प्रमुख कार्य मुख्यतः केक्टस उत्पादन व प्रबंधन जिससे मृदा क्षरण को रोका जा सके बनाया गया। संस्था के अन्य वैज्ञानिक डॉ. सुरेन्द्र बारमेटे, डॉ. रीना मेहरा ने संस्था में किये जा रहे शोध व कम पानी में पैदा होने वाली प्रजातियों का प्रदर्शन किया और इसका किसानों को होने वाले लाभ भी समझाये। कृषि उत्पादन आयुक्त द्वारा प्रक्षेत्र पर आयोजित अनुसंधान ट्रायल का अवलोकन किया गया। संस्थान से अपेक्षा की गई कि विकसित प्रजातियां, कम पानी में अधिक उत्पादन व रोग मुक्त तथा प्रदेश के सभी क्षेत्रों के लिये अनुकूल हो, विशेषकर बुंदेलखण्ड क्षेत्र जहॉ पानी की कमी है। वहॉ केक्टस को पशुचारा के लिये उपयोग और दलहन (मसूर व तिवड़ा) के उत्पादन पर चर्चा की। प्रमुख सचिव द्वारा मसूर,चना,गेहूँ व जौ की न्यूट्रिशियल क्वालिटी को इंप्रूव करने तथा दालों में अधिक आयरन व जिंक, गेहूं में बीटाकेरोटीन वं ग्लूटामिन और जौ में माल्ट प्रतिशत बढाना तथा तिवडा में टॉक्सिन कंटेन्ट कम करने पर जोर दिया गया।
दल के साथ श्रीमति गुंचा सनोवर अपर कलेक्टर, बी.एल.बिलैया संयुक्त संचालक कृषि, आर.एस.जाट उपसंचालक कृषि आदि उपस्थित थे।