सीहोर। गणतंत्र दिवस के मौके पर मुख्यालय पर आयोजित कार्यक्रम में उत्कृष्ट कार्य करने वाले शासकीय अधिकारी- कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र भेंट कर सम्मानित किया गया। समारोह में कोरोना संक्रमण के दौरान, बाढ़ आपदा, कानून व्यवस्था बनाने के लिए संबंधित विभागों के मुलाजिमों को सम्मानित किया गया। लेकिन इन सम्मानों को लेकर उंगलियां उठ रही हैं और चयन करने वाले अफसरों की भी आलोचना हो रही है साथ ही भेदभाव बरतने की बात सामने आई है।
कोरोना संक्रमण के दौरान पूरी निष्ठा और ईमानदारी से मानव सेवा कार्य में लगे कई हेल्थ वर्कर सम्मान से अछूते रह गए। जिनमें असंतोष है और सोशल मीडिया पर अपनी पीड़ा जाहिर कर रहे हैं। जिनका कहना है कि उनके विभागों में जिम्मेदारों द्वारा जमीनी स्तर पर कार्य करने वाले कर्मचारियों को नजरअंदाज कर दिया गया।
सूत्रों कि माने तो हेल्थ विभाग के एक गु्रप पर कई डाक्टर और टेक्नीशियनों ने अपनी पीडा जाहिर करते हुए इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं।
उल्लेखनीय है कि कोरोना संक्रमण के दौरान जिले के अनेकों डाक्टर, टेक्नीशियन, नर्स, एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं ने अपनी जान जोखिम में डालकर समर्पित भाव से डयूटी करते हुए लोगों की सेवा की है। जबकि देखा जाए डयूटी करते हुए अनेकों हेल्थ वर्कर खुद भी संक्रमित हो गए। डयूटी के दौरान कुछ डाक्टर तो महिनों अपने घर तक नहीं गए , जिन्होंने अस्पताल को ही अपना घर बना लिया था। ऐसे निष्ठावान डाक्टर और टेक्नीशियनों का भी विभाग के जिम्मेदार द्वारा सम्मान के लिए नाम नहीं भेजा गया। बात यह भी हो रही है कि कार्यालय में बैठकर अफसरों की जी हजूरी करने वाले कर्मचारियों को सम्मानित किया गया।
परिवार को छोड जिन्होंने फर्ज को चुना
कोरोना काल में हेल्थ वर्करों ने ईमानदारी से डयूटी की। कुछ ऐसे भी डाक्टर और लेब टेक्नीशियन हैं जिन्होंने परिवार के दायित्व से पहले फर्ज को स्थान दिया। कोविड टीम में जिम्मेदार पद पर रहे एक डाक्टर अपनी गर्भवती पत्नी को छोड दिनरात कोविड सेंटर में डयूटी करते रहे तो एक टेक्नीशियन डयूटी के दौरान खुद संक्रमित होकर मौत के मुंह से वापस लौटकर आए। जिन्होंने नाम न बताते की शर्त पर बताया कि सम्मानों में भेदभाव बरता गया जिन्होंने जमीनी स्तर पर काम किया उनको भूला दिया गया।