सुप्रीम कोर्ट में लंबित मुकदमे के भविष्य पर राय देने वाले वकील के खिलाफ उच्चतम न्यायालय ने कार्रवाई करने का फैसला किया है। न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर की पीठ ने प्रतिवादी से कहा है कि वह उच्चतम न्यायालय में शपथ-पत्र दायर कर बताएं कि उन्हें किस वकील ने यह कहा था कि उच्चतम न्यायालय में दायर किया गया मामला बिल्कुल भी सफल नहीं होगा। कोर्ट ने कहा कि वकील की यह राय सरासर कदाचार है। कोर्ट इस मामले की सुनवाई फरवरी के पहले हफ्ते में करेगा।
दरअसल मामला वैवाहिक विवाद और बच्चे की कस्टडी का है। पति अमेरिका से आकर मध्य प्रदेश में रहने लगा और तलाक का मुकदमा शुरू किया। इस बीच पत्नी ने अमेरिका में एरिजोना सुपीरियर कोर्ट में बच्चे की कस्टडी के लिए केस किया। पति का कहना था कि उनका बच्चा कैलिफोर्निया मे हुआ था, इसलिए इस मामले में एरिजोना कोर्ट का क्षेत्राधिकार नहीं बनता। वहीं, उनका विवाह हिंदू कानून के तहत हुआ था इसलिए हिंदू विवाह कानून ही उन पर लागू होगा।
पति ने मध्य प्रदेश कोर्ट में अर्जी दी कि पत्नी को एरिजोना कोर्ट के क्षेत्राधिकार का प्रयोग करने से रोका जाए। लेकिन जिला कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी और कहा कि एरिजोना कोर्ट विदेश में है और यहां से उन्हें किसी आदेश को पारित करने से नहीं रोका जा सकता। इस आदेश को उच्च न्यायालय ने भी बरकरार रखा और कहा कि एरिजोना कोर्ट के आदेश पारित करने के बाद ही भारत में पति-पत्नी के बीच विवाद पर कोई आदेश दिया जा सकता है।
इसके बाद पति उच्चतम न्यायालय आया और शीर्ष कोर्ट ने पत्नी को एरिजोना कोर्ट में मामला उठाने से रोक दिया। कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत और उच्च न्यायालय- दोनों ने इस मामले में गलती की है। सुनवाई के दौरान पति के वकील ने कोर्ट को बताया कि जब उच्चतम न्यायालय ने पत्नी को नोटिस दिया था तो उसके जवाब में पत्नी ने उन्हें बताया था कि उन्हे भारत में एक वकील ने सलाह दी है कि भारतीय उच्चतम न्यायालय में यह अपील बिल्कुल सफल नहीं होगी।