जापान से विशेष रणनीतिक संबंधों का संकेत देते हुए वहां के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को पद्मविभूषण पुरस्कार से नवाजा गया है। देश में इस साल किसी को भारत रत्न देने की घोषणा नहीं की गई है। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के अलावा गायक एसपी बालासुब्रमण्यम (मरणोपरांत), सैंड कलाकार सुदर्शन साहू, पुरातत्वविद बीबी लाल को पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाएगा। मौलाना वहीदुद्दीन खान, डॉ. बेले मोनप्पा हेगड़े, नरेंद्र सिंह कापने को भी पद्म विभूषण देने की घोषणा की गई है। पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, नृपेंद्र मिश्र को पद्म भूषण देने का ऐलान हुआ है। दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान, मौलाना कल्बे सादिक़, केशूभाई पटेल, असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई को भी मरणोपरांत पद्म भूषण देने का ऐलान हुआ है। सात लोगों को पद्म विभूषण, दस लोगों को पद्म भूषण और 102 को पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया है।
पद्म विभूषण
शिंजो आबे
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को लोक मामलों के लिए पद्म विभूषण अलंकरण दिया जाएगा। उनके कार्यकाल में जापान और भारत के संबंध और बेहतर हुए। भारत में जापान से निवेश भी बढ़ा। सितंबर 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने बुलेट ट्रेन परियोजना की आधारशिला रखी थी।
एस.पी. बालासुब्रमण्यम
बॉलीवुड गायक एस.पी. बाला सुब्रमण्यम को कला क्षेत्र में योगदान के लिए चुना गया है। उन्होंने 16 भारतीय भाषाओं में लगभग 40 हजार से ज्यादा गाने गाए। इससे पहले उन्हें पद्मश्री (2001) और पद्मभूषण (2011) से भी नवाजा जा चुका है। सितंबर, 2020 में 74 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया था।
डॉ. बेल्ले मोनप्पा हेगड़े
कर्नाटक के डॉ. बेल्ले मोनप्पा हेगड़े को चिकित्सा क्षेत्र में योगदान के लिए पद्म विभूषण दिया जाएगा। वह कई मेडिकल शोध और ख्यातिप्राप्त पुस्तकों की रचना के लिए जाने जाते हैं। इससे पहले उन्हें साल 2010 में पद्म भूषण मिल चुका है।
नरिंदर सिंह कंपानी
नरिंदर सिंह कंपानी भारतीय मूल के अमेरिकी भौतिक विज्ञानी हैं जो फाइबर ऑप्टिक्स में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए चुना गया है। माना जाता है कि फाइबर ऑप्टिक्स शब्द 1956 में कंपानी ने ही ईजाद किया था। फॉर्च्यून मैगज़ीन ने अपने ‘बिजनेसमैन ऑफ द सेंचुरी’ अंक में उन्हें सात ‘अनसंग हीरोज’ के रूप में जगह दी थी।
मौलाना वहीदुद्दीन खान
दिल्ली के मौलाना वहीदुद्दीन खान विख्यात इस्लामिक विद्वान और शांति कार्यकर्ता है। उन्हें आध्यात्मिकता के क्षेत्र में पद्म विभूषण के लिए चुना गया है। कई अंतर्राष्ट्रीय सम्मान के अलावा उन्हें पद्म भूषण, मदर टेरेसा पुरस्कार और राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
प्रो. बी.बी. लाल
दिल्ली के प्रो. बी.बी. लाल को पुरातत्व के क्षेत्र में काम करने के लिए यह सम्मान दिया जाएगा। वह भारतीय पुरातत्विक सर्वेक्षण यानी ‘आर्केयोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया’ के महानिदेशक रहे हैं। साल 1976-77 में उनके नेतृत्व में एक दल ने पहली बार राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद की विवादित भूमि का पुरातात्विक सर्वेक्षण किया था। इससे निष्कर्षों में पता चला था कि वहां से प्राचीन मंदिरों के अवशेष मिले थे।
सुदर्शन साहू
ओडिशा के सुदर्शन साहू मशहूर सेंड आर्टिस्ट हैं। वे अपनी कला के लिए दुनिया में जाने जाते हैं और कई रिकॉर्ड बुक में भी नाम दर्ज करा चुके हैं। उन्हें कला क्षेत्र में योगदान के लिए पद्म विभूषण दिया जाएगा। इससे पहले उन्हें 1988 में पद्मश्री मिल चुका है।
पद्म भूषण
तरुण गोगोई (जनसेवा)
कांग्रेस नेता स्वर्गीय तरुण गोगोई 2001 से 2016 तक असम के मुख्यमंत्री रहे। मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें राज्य की राजकोषीय स्थिति में सुधार के अलावा उग्रवाद को समाप्त करने और हिंसा को कम करने का श्रेय दिया जाता है। वह छह बार लोकसभा सांसद के रूप में चुने गए और केंद्रीय राज्यमंत्री भी रहे। 23 नवंबर 2020 को उनका निधन हुआ।
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल (जनसेवा)
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय केशुभाई पटेल को जनसेवा के क्षेत्र में योगदान के लिए मरणोपरांत पद्म भूषण दिया जाएगा। 1975 के आपातकाल के दौरान वह जेल भी गए थे। वह जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। 92 साल की उम्र में 29 अक्तूबर 2020 को उनका निधन हो गया था।
सुमित्रा महाजन (जनसेवा)
भाजपा की नेता सुमित्रा महाजन आठ बार इंदौर से लोकसभा चुनाव जीतने वाली प्रथम महिला सांसद बनीं। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री का पद भी संभाला। वह ‘सुमित्रा ताई’ (सुमित्रा दीदी) के नाम से लोकप्रिय हैं।
राम विलास पासवान (जनसेवा)
लोजपा संस्थापक पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय राम विलास पासवान को मरणोपरांत यह सम्मान मिलेगा। वह 9 बार लोकसभा सांसद तथा 2 बार राज्यसभा सांसद रहे। उनके नाम छह प्रधानमंत्रियों के साथ मंत्रिमंडल में काम करने का अनूठा रिकॉर्ड है। 74 साल की उम्र में 8 अक्तूबर 2020 को दिल्ली में उनका निधन हो गया था।
नृपेंद्र मिश्रा (लोकसेवा)
नृपेंद्र मिश्रा (जन्म 8 मार्च 1945) उत्तर प्रदेश कैडर के 1967 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी हैं। उन्होंने 2014 से 2019 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव के रूप में कार्य किया। उन्होंने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण, भारतीय दूरसंचार सचिव और भारत के उर्वरक सचिव के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है। मिश्रा हार्वर्ड विश्वविद्यालय में जॉन एफ. कैनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एमपीए हैं। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान और राजनीति विज्ञान और सार्वजनिक प्रशासन में स्नातकोत्तर की डिग्री ली है।
डॉ. कल्बे सादिक (अध्यात्मवाद)
इस्लामिक विद्वान मौलाना कल्बे सादिक को मरणोपरांत अध्यात्मवाद के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्म भूषण से नवाजा जाएगा। उन्होंने कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह दुनियाभर में अपनी उदारवादी छवि के लिए जाने जाते थे। शिया धर्मगुरु मौलाना डॉ. कल्बे सादिक हमेशा आतंकवाद के खिलाफ मुखर रहे।
कृष्णन नायर शांताकुमारी चित्रा (कला)
कृष्णन नायर शांताकुमारी चित्रा पार्श्व गायिका हैं। वह भारतीय शास्त्रीय, भक्ति और लोकप्रिय संगीत के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने मलयालम, कन्नड़, तमिल, तेलुगू, उड़िया, हिंदी, असमिया, बांग्ला, बड़गा, संस्कृत, तुलु, उर्दू और पंजाबी में हजारों गीतों में आवाज दी हैं। उन्हें 2005 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें अब तक छह राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, पांच फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार समेत कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। उनको दक्षिण भारत की छोटी बुलबुल एवम केरल की बुलबुल के नाम से भी प्रसिद्धि मिली।
चंद्रशेखर कंबारा (साहित्य और शिक्षा)
डॉ. चंद्रशेखर कंबारा कन्नड़ कवि, नाटककार एवं लोक साहित्यकार हैं। उनको साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए चुना गया है। उन्होंने कन्नड़ भाषा में फिल्मों का निर्देशन भी किया है और वे हम्पी में कन्नड़ विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति भी रहे। उन्हें साहित्य अकादमी और ज्ञानपीठ पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
तरलोचन सिंह (जनसेवा)
तरलोचन सिंह दुनियाभर में सिख समुदाय के हक और बेहतरी के लिए काम करने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अफगानिस्तान से सिखों के बचाव और बंदोबस्त के लिए उल्लेखनीय प्रयास किए। वह सांसद के अलावा केंद्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य भी रहे। उन्हें सिख इतिहास पर कई चर्चित कैलेंडर प्रकाशित करने और संग्रहालय बनवाने में योगदान के लिए जाना जाता है।
रजनीकांत देवीदास सर्राफ (उद्योग)
महाराष्ट्र के उद्यमी रजनीकांत देवीदासभाई श्रॉफ यूनाइटेड फॉस्फोरस लिमिटेड के संस्थापक हैं जो एक रासायनिक उत्पाद बनाने वाली कंपनी है। फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार, वह दिसंबर 2019 तक 1.69 अरब डॉलर की कुल संपत्ति के साथ भारत के 87वें सबसे अमीर व्यक्ति थे। वह उद्योग जगत में रज्जू श्रॉफ के नाम से विख्यात हैं। उन्हें उद्योग जगत के कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
पद्मश्री
गुलफाम अहमद- कला, उत्तर प्रदेश, पी. अनिता- खेल, तमिलनाडु, रामास्वामी अन्नावरापु- कला, आंध्र प्रदेश, सुब्बु अरुमुगम- कला, तमिलनाडु, प्रकाशराव असवाडी- साहित्य एवं शिक्षा, आंध्र प्रदेश, भूरी बाई- कला, मध्य प्रदेश, राधेश्याम बारले-कला, छत्तीसगढ़, धर्म नारायण बर्मा- साहित्य एवं शिक्षा, पश्चिम बंगाल, लखीमा बरुआ- सामाजिक कार्य, असम, बीरेन कुमार बसाक- कला, पश्चिम बंगाल, रजनी बेक्टर- व्यापार एवं उद्योग, पंजाब, पीटर ब्रुक- कला, इंग्लैंड, सांग्खुमी बुआलछुआक- सामाजिक कार्य, मिजोरम, गोपीराम बारगाइन बुराभकत- कला, असम, बिजय चक्रबर्ती- लोक मामले, असम, सुजीत चट्टोपाध्याय- साहित्य एवं शिक्षा, पश्चिम बंगाल, जगदीश चौधरी (मरणोपरांत)- सामाजिक कार्य, उत्तर प्रदेश, त्सुल्त्रिम चोल्जोर- सामाजिक कार्य, लद्दाख, मोउमा दास- खेल, पश्चिम बंगाल, श्रीकांत दातार- साहित्य एवं शिक्षा, अमेरिका, नारायण देबनाथ- कला, पश्चिम बंगाल, चुटनी देवी- सामाजिक कार्य, झारखंड, दुलारी देवी- कला, बिहार, राधे देवी- कला, मणिपुर, शांति देवी- सामाजिक कार्य, ओडिशा, वायन दिबिया- कला, इंडोनेशिया, दादूदन गधावी- साहित्य एवं शिक्षा, गुजरात, परशुराम आत्माराम गंगावने- कला, महाराष्ट्र, जय भगवान गोयल- साहित्य एवं शिक्षा, हरियाणा, जगदीश चन्द्र हलदर- साहित्य एवं शिक्षा, पश्चिम बंगाल, मंगल सिंह हाजोबरी- साहित्य एवं शिक्षा, असम, अंशु जाम्शेम्पा- खेल, अरुणाचल प्रदेश, पूर्णमासी जानी- कला, ओडिशा, माता बी. मनजम्मा जोगती- कला, कर्नाटक, दामोदरन कैथापरम- कला, केरल, नामदेव सी. काम्बले- साहित्य एवं शिक्षा, महाराष्ट्र, महेशभाई और नरेशभाई कनोडिया (दोनों को मरणोपरांत) – कला, गुजरात, रजत कुमार कार- साहित्य एवं शिक्षा, ओडिशा, रंगासामी लक्ष्मीनारायण कश्यप- साहित्य एवं शिक्षा, कर्नाटक, प्रकाश कौर- सामाजिक कार्य, पंजाब, निकोलस कजानस- साहित्य एवं शिक्षा, यूनान, के. केशवसामी-कला, पुडुचेरी, गुलाम रसूल खान- कला, जम्मू-कश्मीर, लाखा खान- कला, राजस्थान, संजीदा खातून-कला, बांग्लादेश, विनायक विष्णु खेडेकर- कला, गोवा, नीरू कुमार- सामाजिक कार्य, दिल्ली, लाजवंती- कला, पंजाब, रतन लाल- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, अमेरिका, अली मनिकफन- अन्य जमीनी नवोन्मेष, लक्षद्वीप, रामचंद्र मांझी- कला, बिहार, दुलाल मंकी- कला, असम, नानाद्रो बी. माराक- अन्य-कृषि, मेघालय, रेवबेन माशांग्वा- कला, मणिपुर, चंद्रकांत मेहता- साहित्य एवं शिक्षा, गुजरात, डॉ. रतनलाल मित्तल- मेडिसीन, पंजाब, माधवन नाम्बियार- खेल, केरल, श्याम सुंदर पालीवाल- सामाजिक कार्य, राजस्थान, डॉ. चंद्रकांत सम्भाजी पांडव- मेडिसीन, दिल्ली, डॉ. जे.एन. पांडे (मरणोपरांत)- मेडिसीन, दिल्ली, सोलोमन पपैय्या- साहित्य एवं शिक्षा (पत्रकारिता), तमिलनाडु, पप्पाम्मल- अन्य-कृषि, तमिलनाडु, डॉ. कृष्णमोहन पाथी- मेडिसीन, ओडिशा, जसवंतीबेन जमनादास पोपट- व्यापार एवं उद्योग, महाराष्ट्र, गिरीश प्रभुने- सामाजिक कार्य, महाराष्ट्र, नंदा प्रुस्टी- साहित्य एवं कला, ओडिशा, के.के. रामचंद्र पुलवर- कला, केरल, बालन पुथेरी- साहित्य एवं शिक्षा, केरल, बीरूबाला राभा- सामाजिक कार्य, असम, कनकराजू- कला, तेलंगाना, बॉम्बे जयश्री रामनाथ- कला, तमिलनाडु, सत्यराम रेंग- कला, त्रिपुरा, धनंजय दिवाकर सागदेव- मेडिसीन- केरल, अशोक कुमार साहू- मेडिसीन, उत्तर प्रदेश, डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय- मेडिसीन, उत्तराखंड, सिंधुताई सपकाल- सामाजिक कार्य, महाराष्ट्र, चमनलाल सप्रू (मरणोपरांत)- साहित्य एवं कला, जम्मू-कश्मीर, रमण शर्मा- साहित्य एवं कला (पत्रकारिता), असम, इमरान शाह- साहित्य एवं शिक्षा, असम, प्रेमचंद्र शर्मा- अन्य-कृषि, उत्तराखंड, अर्जुन सिंह शेखावत- साहित्य एवं शिक्षा, राजस्थान, रात यत्न शुक्ला- साहित्य एवं शिक्षा, उत्तर प्रदेश, जितेंद्र सिंह शंटी- सामाजिक कार्य, उत्तर प्रदेश, करतार पारस रामसिंह- कला, हिमाचल प्रदेश, करतार सिंह-कला, पंजाब, डॉ. दिलीप कुमार सिंह- मेडिसीन, बिहार, चंद्रशेखर सिंह, अन्य-कृषि, उत्तर प्रदेश, सुधा हरिनारायण सिंह- खेल, उत्तर प्रदेश, वीरेंद्र सिंह- खेल, हरियाणा, मृदुला सिन्हा (मरणोपरांत), साहित्य एवं शिक्षा, बिहार, के.सी. शिवशंकर (मरणोपरांत)- कला, तमिलनाडु, गुरुमां कमली सोरेन- सामाजिक कार्य, पश्चिम बंगाल, मराची सुब्बुरमन- सामाजिक कार्य, तमिलनाडु, पी. सुब्रमणियन (मरणोपरांत)- व्यापार एवं उद्योग, तमिलनाडु, निदुमोलु सुमति- कला, आंध्र प्रदेश, कपिल तिवारी- साहित्य एवं शिक्षा, मध्य प्रदेश, फादर वालेस (मरणोपरांत)- साहित्य एवं शिक्षा, स्पेन, डॉ. तिरुवेंगादम वीराराघवन (मरणोपरांत)-मेडिसीन, तमिलनाडु, श्रीधर वेम्बू- व्यापार एवं उद्योग, तमिलनाडु, के.वाई. वेंकटेश- खेल, कर्नाटक, उषा यादव- साहित्य एवं शिक्षा, उत्तर प्रदेश, कर्नल काजी सज्जाद
जापान से विशेष रणनीतिक संबंधों का संकेत देते हुए वहां के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को पद्मविभूषण पुरस्कार से नवाजा गया है। देश में इस साल किसी को भारत रत्न देने की घोषणा नहीं की गई है। जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे के अलावा गायक एसपी बालासुब्रमण्यम (मरणोपरांत), सैंड कलाकार सुदर्शन साहू, पुरातत्वविद बीबी लाल को पद्म विभूषण से सम्मानित किया जाएगा। मौलाना वहीदुद्दीन खान, डॉ. बेले मोनप्पा हेगड़े, नरेंद्र सिंह कापने को भी पद्म विभूषण देने की घोषणा की गई है। पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन, नृपेंद्र मिश्र को पद्म भूषण देने का ऐलान हुआ है। दिवंगत पूर्व केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान, मौलाना कल्बे सादिक़, केशूभाई पटेल, असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई को भी मरणोपरांत पद्म भूषण देने का ऐलान हुआ है। सात लोगों को पद्म विभूषण, दस लोगों को पद्म भूषण और 102 को पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया है।
पद्म विभूषण
शिंजो आबे
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे को लोक मामलों के लिए पद्म विभूषण अलंकरण दिया जाएगा। उनके कार्यकाल में जापान और भारत के संबंध और बेहतर हुए। भारत में जापान से निवेश भी बढ़ा। सितंबर 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने बुलेट ट्रेन परियोजना की आधारशिला रखी थी।
एस.पी. बालासुब्रमण्यम
बॉलीवुड गायक एस.पी. बाला सुब्रमण्यम को कला क्षेत्र में योगदान के लिए चुना गया है। उन्होंने 16 भारतीय भाषाओं में लगभग 40 हजार से ज्यादा गाने गाए। इससे पहले उन्हें पद्मश्री (2001) और पद्मभूषण (2011) से भी नवाजा जा चुका है। सितंबर, 2020 में 74 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया था।
डॉ. बेल्ले मोनप्पा हेगड़े
कर्नाटक के डॉ. बेल्ले मोनप्पा हेगड़े को चिकित्सा क्षेत्र में योगदान के लिए पद्म विभूषण दिया जाएगा। वह कई मेडिकल शोध और ख्यातिप्राप्त पुस्तकों की रचना के लिए जाने जाते हैं। इससे पहले उन्हें साल 2010 में पद्म भूषण मिल चुका है।
नरिंदर सिंह कंपानी
नरिंदर सिंह कंपानी भारतीय मूल के अमेरिकी भौतिक विज्ञानी हैं जो फाइबर ऑप्टिक्स में अपने काम के लिए जाने जाते हैं। उन्हें विज्ञान और प्रौद्योगिकी के लिए चुना गया है। माना जाता है कि फाइबर ऑप्टिक्स शब्द 1956 में कंपानी ने ही ईजाद किया था। फॉर्च्यून मैगज़ीन ने अपने ‘बिजनेसमैन ऑफ द सेंचुरी’ अंक में उन्हें सात ‘अनसंग हीरोज’ के रूप में जगह दी थी।
मौलाना वहीदुद्दीन खान
दिल्ली के मौलाना वहीदुद्दीन खान विख्यात इस्लामिक विद्वान और शांति कार्यकर्ता है। उन्हें आध्यात्मिकता के क्षेत्र में पद्म विभूषण के लिए चुना गया है। कई अंतर्राष्ट्रीय सम्मान के अलावा उन्हें पद्म भूषण, मदर टेरेसा पुरस्कार और राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
प्रो. बी.बी. लाल
दिल्ली के प्रो. बी.बी. लाल को पुरातत्व के क्षेत्र में काम करने के लिए यह सम्मान दिया जाएगा। वह भारतीय पुरातत्विक सर्वेक्षण यानी ‘आर्केयोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया’ के महानिदेशक रहे हैं। साल 1976-77 में उनके नेतृत्व में एक दल ने पहली बार राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद की विवादित भूमि का पुरातात्विक सर्वेक्षण किया था। इससे निष्कर्षों में पता चला था कि वहां से प्राचीन मंदिरों के अवशेष मिले थे।
सुदर्शन साहू
ओडिशा के सुदर्शन साहू मशहूर सेंड आर्टिस्ट हैं। वे अपनी कला के लिए दुनिया में जाने जाते हैं और कई रिकॉर्ड बुक में भी नाम दर्ज करा चुके हैं। उन्हें कला क्षेत्र में योगदान के लिए पद्म विभूषण दिया जाएगा। इससे पहले उन्हें 1988 में पद्मश्री मिल चुका है।
पद्म भूषण
तरुण गोगोई (जनसेवा)
कांग्रेस नेता स्वर्गीय तरुण गोगोई 2001 से 2016 तक असम के मुख्यमंत्री रहे। मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान उन्हें राज्य की राजकोषीय स्थिति में सुधार के अलावा उग्रवाद को समाप्त करने और हिंसा को कम करने का श्रेय दिया जाता है। वह छह बार लोकसभा सांसद के रूप में चुने गए और केंद्रीय राज्यमंत्री भी रहे। 23 नवंबर 2020 को उनका निधन हुआ।
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल (जनसेवा)
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय केशुभाई पटेल को जनसेवा के क्षेत्र में योगदान के लिए मरणोपरांत पद्म भूषण दिया जाएगा। 1975 के आपातकाल के दौरान वह जेल भी गए थे। वह जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। 92 साल की उम्र में 29 अक्तूबर 2020 को उनका निधन हो गया था।
सुमित्रा महाजन (जनसेवा)
भाजपा की नेता सुमित्रा महाजन आठ बार इंदौर से लोकसभा चुनाव जीतने वाली प्रथम महिला सांसद बनीं। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री का पद भी संभाला। वह ‘सुमित्रा ताई’ (सुमित्रा दीदी) के नाम से लोकप्रिय हैं।
राम विलास पासवान (जनसेवा)
लोजपा संस्थापक पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय राम विलास पासवान को मरणोपरांत यह सम्मान मिलेगा। वह 9 बार लोकसभा सांसद तथा 2 बार राज्यसभा सांसद रहे। उनके नाम छह प्रधानमंत्रियों के साथ मंत्रिमंडल में काम करने का अनूठा रिकॉर्ड है। 74 साल की उम्र में 8 अक्तूबर 2020 को दिल्ली में उनका निधन हो गया था।
नृपेंद्र मिश्रा (लोकसेवा)
नृपेंद्र मिश्रा (जन्म 8 मार्च 1945) उत्तर प्रदेश कैडर के 1967 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी हैं। उन्होंने 2014 से 2019 तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव के रूप में कार्य किया। उन्होंने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण, भारतीय दूरसंचार सचिव और भारत के उर्वरक सचिव के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है। मिश्रा हार्वर्ड विश्वविद्यालय में जॉन एफ. कैनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में एमपीए हैं। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से रसायन विज्ञान और राजनीति विज्ञान और सार्वजनिक प्रशासन में स्नातकोत्तर की डिग्री ली है।
डॉ. कल्बे सादिक (अध्यात्मवाद)
इस्लामिक विद्वान मौलाना कल्बे सादिक को मरणोपरांत अध्यात्मवाद के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए पद्म भूषण से नवाजा जाएगा। उन्होंने कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह दुनियाभर में अपनी उदारवादी छवि के लिए जाने जाते थे। शिया धर्मगुरु मौलाना डॉ. कल्बे सादिक हमेशा आतंकवाद के खिलाफ मुखर रहे।
कृष्णन नायर शांताकुमारी चित्रा (कला)
कृष्णन नायर शांताकुमारी चित्रा पार्श्व गायिका हैं। वह भारतीय शास्त्रीय, भक्ति और लोकप्रिय संगीत के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने मलयालम, कन्नड़, तमिल, तेलुगू, उड़िया, हिंदी, असमिया, बांग्ला, बड़गा, संस्कृत, तुलु, उर्दू और पंजाबी में हजारों गीतों में आवाज दी हैं। उन्हें 2005 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें अब तक छह राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, पांच फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार समेत कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। उनको दक्षिण भारत की छोटी बुलबुल एवम केरल की बुलबुल के नाम से भी प्रसिद्धि मिली।
चंद्रशेखर कंबारा (साहित्य और शिक्षा)
डॉ. चंद्रशेखर कंबारा कन्नड़ कवि, नाटककार एवं लोक साहित्यकार हैं। उनको साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए चुना गया है। उन्होंने कन्नड़ भाषा में फिल्मों का निर्देशन भी किया है और वे हम्पी में कन्नड़ विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति भी रहे। उन्हें साहित्य अकादमी और ज्ञानपीठ पुरस्कार भी मिल चुके हैं।
तरलोचन सिंह (जनसेवा)
तरलोचन सिंह दुनियाभर में सिख समुदाय के हक और बेहतरी के लिए काम करने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अफगानिस्तान से सिखों के बचाव और बंदोबस्त के लिए उल्लेखनीय प्रयास किए। वह सांसद के अलावा केंद्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य भी रहे। उन्हें सिख इतिहास पर कई चर्चित कैलेंडर प्रकाशित करने और संग्रहालय बनवाने में योगदान के लिए जाना जाता है।
रजनीकांत देवीदास सर्राफ (उद्योग)
महाराष्ट्र के उद्यमी रजनीकांत देवीदासभाई श्रॉफ यूनाइटेड फॉस्फोरस लिमिटेड के संस्थापक हैं जो एक रासायनिक उत्पाद बनाने वाली कंपनी है। फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार, वह दिसंबर 2019 तक 1.69 अरब डॉलर की कुल संपत्ति के साथ भारत के 87वें सबसे अमीर व्यक्ति थे। वह उद्योग जगत में रज्जू श्रॉफ के नाम से विख्यात हैं। उन्हें उद्योग जगत के कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।
पद्मश्री
गुलफाम अहमद- कला, उत्तर प्रदेश, पी. अनिता- खेल, तमिलनाडु, रामास्वामी अन्नावरापु- कला, आंध्र प्रदेश, सुब्बु अरुमुगम- कला, तमिलनाडु, प्रकाशराव असवाडी- साहित्य एवं शिक्षा, आंध्र प्रदेश, भूरी बाई- कला, मध्य प्रदेश, राधेश्याम बारले-कला, छत्तीसगढ़, धर्म नारायण बर्मा- साहित्य एवं शिक्षा, पश्चिम बंगाल, लखीमा बरुआ- सामाजिक कार्य, असम, बीरेन कुमार बसाक- कला, पश्चिम बंगाल, रजनी बेक्टर- व्यापार एवं उद्योग, पंजाब, पीटर ब्रुक- कला, इंग्लैंड, सांग्खुमी बुआलछुआक- सामाजिक कार्य, मिजोरम, गोपीराम बारगाइन बुराभकत- कला, असम, बिजय चक्रबर्ती- लोक मामले, असम, सुजीत चट्टोपाध्याय- साहित्य एवं शिक्षा, पश्चिम बंगाल, जगदीश चौधरी (मरणोपरांत)- सामाजिक कार्य, उत्तर प्रदेश, त्सुल्त्रिम चोल्जोर- सामाजिक कार्य, लद्दाख, मोउमा दास- खेल, पश्चिम बंगाल, श्रीकांत दातार- साहित्य एवं शिक्षा, अमेरिका, नारायण देबनाथ- कला, पश्चिम बंगाल, चुटनी देवी- सामाजिक कार्य, झारखंड, दुलारी देवी- कला, बिहार, राधे देवी- कला, मणिपुर, शांति देवी- सामाजिक कार्य, ओडिशा, वायन दिबिया- कला, इंडोनेशिया, दादूदन गधावी- साहित्य एवं शिक्षा, गुजरात, परशुराम आत्माराम गंगावने- कला, महाराष्ट्र, जय भगवान गोयल- साहित्य एवं शिक्षा, हरियाणा, जगदीश चन्द्र हलदर- साहित्य एवं शिक्षा, पश्चिम बंगाल, मंगल सिंह हाजोबरी- साहित्य एवं शिक्षा, असम, अंशु जाम्शेम्पा- खेल, अरुणाचल प्रदेश, पूर्णमासी जानी- कला, ओडिशा, माता बी. मनजम्मा जोगती- कला, कर्नाटक, दामोदरन कैथापरम- कला, केरल, नामदेव सी. काम्बले- साहित्य एवं शिक्षा, महाराष्ट्र, महेशभाई और नरेशभाई कनोडिया (दोनों को मरणोपरांत) – कला, गुजरात, रजत कुमार कार- साहित्य एवं शिक्षा, ओडिशा, रंगासामी लक्ष्मीनारायण कश्यप- साहित्य एवं शिक्षा, कर्नाटक, प्रकाश कौर- सामाजिक कार्य, पंजाब, निकोलस कजानस- साहित्य एवं शिक्षा, यूनान, के. केशवसामी-कला, पुडुचेरी, गुलाम रसूल खान- कला, जम्मू-कश्मीर, लाखा खान- कला, राजस्थान, संजीदा खातून-कला, बांग्लादेश, विनायक विष्णु खेडेकर- कला, गोवा, नीरू कुमार- सामाजिक कार्य, दिल्ली, लाजवंती- कला, पंजाब, रतन लाल- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, अमेरिका, अली मनिकफन- अन्य जमीनी नवोन्मेष, लक्षद्वीप, रामचंद्र मांझी- कला, बिहार, दुलाल मंकी- कला, असम, नानाद्रो बी. माराक- अन्य-कृषि, मेघालय, रेवबेन माशांग्वा- कला, मणिपुर, चंद्रकांत मेहता- साहित्य एवं शिक्षा, गुजरात, डॉ. रतनलाल मित्तल- मेडिसीन, पंजाब, माधवन नाम्बियार- खेल, केरल, श्याम सुंदर पालीवाल- सामाजिक कार्य, राजस्थान, डॉ. चंद्रकांत सम्भाजी पांडव- मेडिसीन, दिल्ली, डॉ. जे.एन. पांडे (मरणोपरांत)- मेडिसीन, दिल्ली, सोलोमन पपैय्या- साहित्य एवं शिक्षा (पत्रकारिता), तमिलनाडु, पप्पाम्मल- अन्य-कृषि, तमिलनाडु, डॉ. कृष्णमोहन पाथी- मेडिसीन, ओडिशा, जसवंतीबेन जमनादास पोपट- व्यापार एवं उद्योग, महाराष्ट्र, गिरीश प्रभुने- सामाजिक कार्य, महाराष्ट्र, नंदा प्रुस्टी- साहित्य एवं कला, ओडिशा, के.के. रामचंद्र पुलवर- कला, केरल, बालन पुथेरी- साहित्य एवं शिक्षा, केरल, बीरूबाला राभा- सामाजिक कार्य, असम, कनकराजू- कला, तेलंगाना, बॉम्बे जयश्री रामनाथ- कला, तमिलनाडु, सत्यराम रेंग- कला, त्रिपुरा, धनंजय दिवाकर सागदेव- मेडिसीन- केरल, अशोक कुमार साहू- मेडिसीन, उत्तर प्रदेश, डॉ. भूपेंद्र कुमार सिंह संजय- मेडिसीन, उत्तराखंड, सिंधुताई सपकाल- सामाजिक कार्य, महाराष्ट्र, चमनलाल सप्रू (मरणोपरांत)- साहित्य एवं कला, जम्मू-कश्मीर, रमण शर्मा- साहित्य एवं कला (पत्रकारिता), असम, इमरान शाह- साहित्य एवं शिक्षा, असम, प्रेमचंद्र शर्मा- अन्य-कृषि, उत्तराखंड, अर्जुन सिंह शेखावत- साहित्य एवं शिक्षा, राजस्थान, रात यत्न शुक्ला- साहित्य एवं शिक्षा, उत्तर प्रदेश, जितेंद्र सिंह शंटी- सामाजिक कार्य, उत्तर प्रदेश, करतार पारस रामसिंह- कला, हिमाचल प्रदेश, करतार सिंह-कला, पंजाब, डॉ. दिलीप कुमार सिंह- मेडिसीन, बिहार, चंद्रशेखर सिंह, अन्य-कृषि, उत्तर प्रदेश, सुधा हरिनारायण सिंह- खेल, उत्तर प्रदेश, वीरेंद्र सिंह- खेल, हरियाणा, मृदुला सिन्हा (मरणोपरांत), साहित्य एवं शिक्षा, बिहार, के.सी. शिवशंकर (मरणोपरांत)- कला, तमिलनाडु, गुरुमां कमली सोरेन- सामाजिक कार्य, पश्चिम बंगाल, मराची सुब्बुरमन- सामाजिक कार्य, तमिलनाडु, पी. सुब्रमणियन (मरणोपरांत)- व्यापार एवं उद्योग, तमिलनाडु, निदुमोलु सुमति- कला, आंध्र प्रदेश, कपिल तिवारी- साहित्य एवं शिक्षा, मध्य प्रदेश, फादर वालेस (मरणोपरांत)- साहित्य एवं शिक्षा, स्पेन, डॉ. तिरुवेंगादम वीराराघवन (मरणोपरांत)-मेडिसीन, तमिलनाडु, श्रीधर वेम्बू- व्यापार एवं उद्योग, तमिलनाडु, के.वाई. वेंकटेश- खेल, कर्नाटक, उषा यादव- साहित्य एवं शिक्षा, उत्तर प्रदेश, कर्नल काजी सज्जाद अली जहीर- लोक मामले, बांग्लादेश।
अली जहीर- लोक मामले, बांग्लादेश।