जानें क्यों पूरे 18 सालों तक 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की जगह मनाया गया स्वतंत्रता दिवस

आज ही के दिन 92 साल पहले गुलाम भारत ने पूर्ण स्वराज की प्रतिज्ञा ली थी। 26 जनवरी, 1929 को लाहौर अधिवेशन में जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने यह शपथ ली। कांग्रेस से जुड़े इन नेताओं ने पूर्ण स्वराज का प्रण लेकर ब्रिटिश राज को एक साल में सत्ता छोड़ने की चेतावनी दी थी। इसी तारीख से ठीक 21 साल बाद 26 जनवरी, 1950 को भारतीय संविधान लागू हुआ और हमारा देश एक लोकतांत्रिक गणराज्य बन गया। इसी के साथ सभी देशवासियों को पूर्ण स्वतंत्रता व सम्मान से जीने के आधारभूत अधिकार मिल गए।

कांग्रेस ने रखा था पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव

26 जनवरी, 1929 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन तत्कालीन पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में हुआ, जहां कांग्रेस के ‘पूर्ण स्वराज’ का घोषणा-पत्र तैयार किया। नेहरू की अध्यक्षता वाले अधिवेशन के इस प्रस्ताव ‘पूर्ण स्वराज’ को कांग्रेस का मुख्य लक्ष्य घोषित किया। प्रस्ताव में कहा गया था कि यदि अंग्रेजी हुकूमत 26 जनवरी, 1930 तक भारत को उसका प्रभुत्व (डोमिनियन का पद) नहीं देती है तो भारत खुद को स्वतंत्र घोषित कर देगा। कांग्रेस ने 26 जनवरी की तारीख को पूर्ण स्वराज दिवस (स्वतंत्रता दिवस) घोषित किया था। जब अंग्रेजी हुकूमत ने पूर्ण स्वराज के प्रस्ताव पर कुछ नहीं किया तब कांग्रेस ने भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के लिए सक्रिय आंदोलन शुरू किया।

26 जनवरी को मनाया जाता था स्वतंत्रता दिवस

26 जनवरी 1930 को पहली बार देश में पूर्ण स्वराज दिवस अथवा स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। अगले लगभग 18 वर्षों तक इसी दिन स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता रहा। फिर देश को आजादी मिलने के बाद 15 अगस्त, 1947 को अधिकारिक रूप से स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया। 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव लागू होने की तिथि को महत्व देने के लिए ही 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू किया गया था। इसके बाद 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस घोषित किया गया।

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